June 20, 2025

Jalandhar Breeze

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पोषक आहार के प्रति सकारात्मक पहल

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जालंधर ब्रीज: सेहत संसार के क्षेत्र में हुकूमत ने सकारात्मक पहल की है। समूचे हिंदुस्तान द्वारा पिछला माह ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाया गया जिसका मकसद जनमानस को उनके स्वास्थ्य के प्रति सचेत कराना था। शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए हम सबको कुछ बुनियादी बातों पर गौर करना होगा, जिसकी अव्वल और मुकम्मल जरूरत है ‘पोषण युक्त आहार’ को अपनाना। भागदौड़ भरी लाइफ में इंसान अपने स्वास्थ्य के प्रति घनघोर लापरवाह हो गया है। इसी कारण मानव शरीर नित नई बीमारियों की चपेट में समा रहा है। पोषक नियमानुसार अगर इंसान अपनी दिनचर्या को बरकरार रखे तो वह हेल्दी लाइफ का आनंद उठा सकता है, साथ ही कई अजन्मी बीमारियों से भी बचा रहेगा।

 
कोविड के चलते बीते दो वर्षों से लोगों के रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों में खासा बदलाव आया है। इससे कोई चिंतित हो या ना हो पर केंद्र सरकार जरूर है। पिछले कुछ महीनों की जनमानस के स्वास्थ्य की चिकित्सीय रिपोर्ट रोंगटे खड़़े करती है। ये सब कोरोना के चलते हुआ जिसने इंसानी जीवन के दिनचर्याओं में अप्रत्याशित बदलाव किया है जिसका सबसे बड़ा कुप्रभाव मानव शरीर पर पड़ा है। अस्तव्यस्त हुए जीवन को सुधारने में सरकार ने सकारात्मक पहल की है, राष्ट्रीय पोषण माह की गति को तेज धार दी है। मौजूदा समय में पोषण माह की अहमियत इसलिए और भी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि सेहत के प्रति लोगों को जागरूकता की बहुत जरूरत है जिसकी पूर्ण भरपाई पोषण मुहिम से हो रही है।


गौरतलब है, इस समय कई असंसगर्जन्य बीमारियों की समस्याएं मुंह खोले खड़ी हुई हैं। परिणाम ये है कि कोरोना काल में 65 फीसदी के करीब लोगों की असमय मृत्यु हृदय विकार के चलते दर्ज की गईं हैं जिसका मुख्य कारण बिगड़ी दिनचर्याएं रहीं। पोषणहीन आहार की ओर समाज तेजी से बढ़ा है जिसे रोकना और दोबारा से पटरी पर लाने का मोर्चा पोषण माह ने संभाला है। फिलहाल कोरोना का प्रकोप अभी थमा नहीं, लेकिन फिर भी केंद्र सरकार पोषण माह पर इसलिए ज्यादा जोर दे रही है ताकि लोग इसकी जागरूकता का लाभ उठा सकें। सरकार का इस बात पर ज्यादा फोकस है कि लोग पौष्टिक तत्व युक्त और बैलेंस डाइट लें। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट भी बताती है कि खबरा दिनचर्याओं के चलते लोगों ने पौष्टिक आहार लेना छोड़ दिया है जिससे मृत्यु दर में इजाफा हुआ है।


पोषण को लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय गैरसरकारी संगठन भी लगातार जागरूकता फैला रहे हैं। साथ ही केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक सितंबर से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया गया। पोषण माह के तहत हिंदुस्तान के प्रत्येक जिले, खंड व आंगनबाड़ी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। इस मुहिम से स्वास्थकर्मियों की जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं, विशेषकर आंगनबाड़ियों और आशा कार्यकत्रियों की, लेकिन वह सभी अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभा रही हैं। वह दूरदराज इलाकों के बच्चों, किशोरियों व महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की जानकारियां दे रहीं हैं। गौरतलब है सबसे पहले हमें राष्ट्रीय पोषण माह के बुनियादी मकसद को समझना होगा और दूसरों को समझाना भी होगा। मकसद लोगों को उनके स्वास्थ्य और समृद्धि के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जागरूक करना होता है।

 
इस मुहिम में सबकी जन भागीदारी होनी चाहिए, सिर्फ सरकारी कोशिशों पर हमें निर्भर नहीं रहना होगा। लोगों को पोषण और खाने की अनुकूल आदतों के संबंध में जितना हो सके जागरूक करना होगा। पोषण माह के दौरान जगह-जगह केंद्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा सेमिनार और शिविर लगाए गए  जिनमें लोग ने न्यूट्रिशन डाइट से कैसे लाभान्वित हों के संबंध में जानकारियां प्राप्त की। अच्छी बात है लोग पोषण जागरूकता की तरह आकर्षित हो रहे हैं। पोषण माह में केंद्र सरकार की ओर से किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी जागरूक किया गया। कार्यक्रम में बच्चों की ऊंचाई, किशोर लड़कियों और गर्भवती माताओं का वजन की जांच की गई। महिला बाल विकास मंत्रालय ने पोषण माह समाप्त होने के बाद भी पूरे साल का लक्ष्य बनाया हुआ जिसे पूरा करने के लिए देशभर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टास्क दिया गया है। पोषण अभियान के तहत गर्भवती माताओं व स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर विशेष ध्यान देने को कहा गया।             

अक्सर देखने को मिलता है कि बिना स्वास्थ्य सलाह के महिलाएं अपने पर उतना ध्यान नहीं दे पाती। शहरी क्षेत्रों की महिलाएं समय-समय पर सलाह जरूर ले लेती हैं पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं ज्यादा रूचि नहीं दिखाती, वह भी सलाह लें इसके लिए सरकार पोषण अभियान को और गति देना चाहती हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का भी शुभारंभ किया है जिससे अभूतपूर्व फायदा होने वाले है। सरकार इस बार पोषण माह को मिशन के रूप में लेकर चल रही है जिसमें स्वच्छता, स्वस्थ आदतें, पोषण और स्वच्छता प्रचार से संबंधिति गतिविधियों को बढ़ाया है। मुहिम में आंगनवाड़ी वर्कर्स दुर्गम ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर भी शिशु देखभाल और परिवार नियोजन के बारे में जागरूक कर रही हैं। बिना पोषण आहार से सबसे ज्यादा प्रभावित नौनिहाल होते हैं। बीते दिनों केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसी मुद्दे पर रेखांकित अपने अधिकारियों को सचेत किया और पोषण माह की जागरूकता अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर जोर दिया।

बहरहाल, पोषण की जानकारी का मुख्य मकसद बच्चों में अल्प पोषण, कम वजनी बच्चों के जन्म तथा किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा बच्चों में रक्त की कमी को दूर करना है, पर इसके लिए ईमानदारी से जुटना होगा। सिर्फ कागजों में पोषण माह नहीं मनाना चाहिए, धरातल पर उसका असर दिखना चाहिए, जो इस बार दिखाई पड़ रहा है। पोषण सीधे स्वास्थाय से वास्ता रखता है, इसलिए स्वास्थ्य के साथ किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए, जब सरकारें हमारें स्वास्थ्य के प्रति इतनी संजिदा हैं तो हमारा भी कत्वर्य बनता, मिशन में कदम ताल मिलाएं। आमजन को भी सरकारों के साथ मिलकर एक माह तक चलने वाले विशेष पोषण माह की मुहिम को सभी तक पहुंचाकर साफ-सफाई तथा पौष्टिक आहार के प्रति जागरूक करना चाहिए।                                                                                                                     


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