
जालंधर ब्रीज: आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार, सांसद और प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस नियंत्रित करने पर जोर देते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य हिस्सों से हजारों छात्र मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा के लिए देश छोड़कर यूक्रेन, रूस, चीन, फिलीपींस और ताजिकिस्तान जैसे देशों में जाने को मजबूर हुए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समेत सभी राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार कर नीतिगत फैसला करना चाहिए।
रविवार को पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में भगवंत मान ने कहा कि अगर आज युद्धग्रस्त यूक्रेन में हजारों पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के हजारों भारतीय छात्र फंसे हुए हैं तो इसके लिए पंजाब और हरियाणा समेत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस बात पर कभी ध्यान ही नहीं दिया कि आखिर भारतीय छात्रों को मेडिकल या उच्च शिक्षा के लिए यूक्रेन जैसे देशों में जाने की मजबूरी क्या है। मान ने कहा मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने वालों में से अधिकांश छात्र सामान्य परिवारों से हैं, जो मेरिट की कमी के कारण मेडिकल कॉलेजों की सीमित सीटों पर स्थान पाने में असफल हो जाते हैं और जिनके पास निजी कॉलेजों में मोटी फीस भरने करने के लिए वित्तीय साधन नहीं होते हैं।
मान ने कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को हाशिए पर डाल दिया है। आज़ादी के बाद बनी जिला स्तर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने वाली योजना के अनुसार, 1966 के बाद पंजाब में पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की शुरुआत की गई थी, लेकिन इन कॉलेजों में इतने सालों बाद भी एमडी, एमएस की सीटों में मामूली बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल मोहाली में एक मेडिकल कॉलेज खोला गया। चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 675 एमबीबीएस सीटें हैं, जिसमें बीआर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज की 100 सीटें भी शामिल हैं। यह आंकड़ा हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से काफी कम है। हालांकि पंजाब के आधा दर्जन निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की करीब 770 सीटें हैं, लेकिन उसके लिए छात्रों से न्यूनतम शुल्क 50 लाख रुपये से लेकर 80 लाख रुपये तक वसूला जा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेजों की महंगी फीस होने के कारण हजारों प्रतिभावान और साधारण परिवारों के छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने से वंचित हो रहे हैं।
भगवंत मान ने आरोप लगाया कि पंजाब की पारंपरिक सरकारों ने शिक्षा माफिया के साथ मिलकर सरकारी मेडिकल कॉलेजों का विस्तार नहीं किया और निजी मेडिकल कॉलेजों को बढ़ावा दिया। पिछली सरकारों ने मेडिकल कॉलेजों की फीस नियंत्रित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को भी लागू नहीं किया जिसके कारण निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों से महंगी फीस वसूल रहे हैं। जुलाई 2013 में निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये और फिर मार्च 2014 में 30 लाख रुपये से सीधे 41 लाख रुपये कर दिया गया। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के अनमदार बनाम भारत सरकार के फैसले के अनुसार, 3 साल तक कोई शुल्क नहीं बढ़ाया जा सकता है।
मान ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा आम आदमी पार्टी के केंद्रीय मुद्दे हैं। पंजाब में आप सरकार बनने के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों का पुनरुद्धार किया जाएगा और निजी शिक्षण संस्थानों की फीस को विनियमित करने के लिए बड़े कदम उठाए जाएंगे ताकि पंजाब के छात्र विदेश में पढ़ने के लिए मजबूर न हो। पंजाब और भारत के अन्य राज्यों में चिकित्सा शिक्षा वहां की तुलना में महंगी है। उन्होंने सवाल किया कि अगर यूक्रेन जैसे देश 6 साल की एमबीबीएस की पढ़ाई 20-25 लाख रुपये में करा सकती है, तो भारत और पंजाब में क्यों नहीं हो सकती? आम आदमी पार्टी की सरकार इस बात पर गहराई से मंथन करेगी और पता लगायगी कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस को विनियमित करने के लिए गठित जस्टिस मजीठिया कमेटी की रिपोर्ट सफल क्यों नहीं रही?
More Stories
बाजवा ने पीडीसी में गैर-पंजाबियों को काम पर रखने के लिए आप सरकार को दोषी ठहराया
पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने डीसी और पुलिस आयुक्त को मतदान से 72, 48 और 24 घंटे पहले अतिरिक्त सतर्कता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए
21 जून को पुलिस लाइन ग्राउंड में मनाया जाएगा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस- निकास कुमार