
जालंधर ब्रीज: जिले के गांव मुरादपुर का किसान रामपाल सिंह बिना आग लगाए पिछले छह वर्षों से गेहूं व धान की सीधी बिजाई कर वातावरण हितैषी के तौर पर उभरा है व डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने इस प्रगतिशील किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास बाकी किसानों को भी करने चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीन की स्वास्थ्य संभाल, वातावरण को शुद्ध रखने व पानी की बचत के लिए किसानों को गेहूं की नाड़ व अवशेषों को बिना आग लगाए सीधी बिजाई के लिए आगे आने की जरुरत है।
संदीप हंस ने कहा कि किसानों को फसली चक्र से निकल कर वैकल्पिक कृषि की ओर से रुझान पैदा करना चाहिए ताकि कृषि लाभप्रद धंधा साबित हो सके। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए डी.एस.आर ड्रिल(धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीन) का प्रयोग किया जा सकता है। यह आधुनिक तकनीक वाली मशीन कृषि विभाग के पास उपलब्ध है। इसके अलावा स्व सहायता समूह व किसानों से किराए पर प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि डी.एस.आर ड्रिल किराए पर प्राप्त करने के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। प्रगतिशील किसान रामपाल सिंह ने बताया कि वह पिछले 17 वर्षों से कृषि कर रहा है व 15 एकड़ में गेहूं-धान की काश्त कर रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के सहयोग से उसकी ओर से गेहूं की नाड़ व अवशेषों का प्रबंधन बिना आग लगाए सब्सिडी पर दिए जा रहे कृषि उपकरणों की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गेहूं की नाड़ को आग न लगाकर सीधी बिजाई पिछले 6 वर्षों से की जा रही है, जिससे जहां मिट्टी की स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, वहीं अधिक झाड़ भी प्राप्त हुआ है।
इस प्रगतिशील किसान ने बताया कि वह हमेशा बीज संशोधित कर ही बिजाई करता है, जिससे बीमारियों का हमला कम होता है व बीज अच्छा पैदा होता है। इसके अलावा खादों का प्रयोग पी.ए.यू के पत्ता रंग चार्ट विधि के अनुसार किया जाता है व इससे खाद की बचत होने के अलावा कीड़े का हमला कम होता है। किसान ने बताया कि वह खाद की बचत के लिए रुड़ी खाद का प्रयोग करता है व हरी खाद जंतर, ढैंचा, सण, रवाह की बिजाई करता है व इससे यूरिया की बचत होती है। उन्होंने बताया कि जंतर की हरी खाद से लोहे की कमी नहीं आती व इस विधि से जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है व वातावरण भी दूषित नहीं होता।
मुख्य कृषि अधिकारी डा. सतनाम सिंह ने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए कम व मध्यम समय लेकर पकने वाले किस्मे ज्यादा उपयुक्त हैं, क्योंकि यह लंबा समय लेकर पकने वाली िकिस्मों से तेजी से बढ़ती है व खतपतवारों को नियंत्रण में रखती है। पानी की खपत भी कम होती है, जल्दी पकने से धान की पराली संभालने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है व पराली कम होने से संभालना आसान होता है। उन्होंने बताया कि जून का पहला पखवाड़ा सीधी बिजाई के लिए उपयुक्त समय है।
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