August 4, 2025

Jalandhar Breeze

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हौसले बुलंद हो तो इंसान बीमारियों को भी पीछे छोड़ कामयाबी की ओर बढ़ता जाता है

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पंजाब की तैराक जसनूर कौर अपने कोच जॉनी भाटिया के साथ

जालंधर ब्रीज: हौसले बुलंद हो तो इंसान बीमारियों को भी पीछे छोड़ कामयाबी की ओर बढ़ता जाता है ऐसा ही मोहाली की जसनुर कोर है ने किया ,जो आज भी खेलो इंडिया में भाग लेने के लिए में अम्बाला पहुची।यह खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में 2 सिल्वर मेडल जीत चुकी है|

अंबाला छावनी वार हीरोज स्टेडियम में इन दिनों खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन किया जा रहा है। इस खेल में मोहाली की जसनुर कौर भी भाग ले रही हैं। मेडल जीतने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा जसनुर कौर ने बताया कि उसे बचपन से ही तैराकी का शौक था। लगभग पिछले 7 वर्षों से वह तैराकी कर रही हैं। उन्होंने बताया किअम्बाला में उसने 50 मीटर बटरफ्लाई पर 50 मीटर फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल आया है। उसने बताया कि अम्बाला आकर उसे बहुत अच्छा लगा। हालांकि गंभीर बीमारी के बाद भी वह इस प्रतियोगिता में भाग ले रही है। उसने बताया कि उसे 4 साल की उम्र से व्हीट एलर्जी है, जिसके चलते वह गेहूं नहीं खा सकती। लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और वह मेडल जीतने में कामयाब रही। उसने बताया कि वह चाहती है कि आगे भी वह इसी प्रकार तैराकी प्रतियोगिता में भाग ले और भारत के लिए ओलिंपिक में मेडल लाए

जसनूर की माता अवनीत कौर ने बताया कि उसकी बच्ची बहुत मेहनत कर रही है। उसकी बेटी का पैशन स्विमिंग है। वह पढ़ाई के साथ-साथ स्विमिंग में भी बेहतर प्रदर्शन कर रही है। लास्ट डेढ़ वर्ष से उसके कंधे में दर्द रहता है। जिसका इलाज करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पंजाब के स्पोर्ट्स से भी उन्होंने मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाती है तो बच्चा इंटरनेशनल तक मेडल जीतकर ला सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी जब साढ़े तीन साल की थी तो उसे मीसिलिया डिसीज हो गया था। जिसके बाद उसे गेहूं से एलर्जी होने लगी। जिसका इलाज अब भी पीजीआई चंडीगढ़ से चल रहा है। उन्होंने बताया कि जहां पर यह खेलने के लिए जाती है तो इसे बाहर का खाना नहीं दिया जाता। लेकिन फिर भी बच्चे के हौसले बुलंद हैं और हम चाहते हैं कि हमारी बेटी अंतरराष्टीय स्तर पर पुरस्कार लाए।


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