June 18, 2025

Jalandhar Breeze

Hindi Newspaper

‘ऑपरेशन लोटस’ पर एटीआर की मांग को लेकर विपक्ष ने किया वॉकआउट

Share news

जालंधर ब्रीज: पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दूसरे दिन पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ पर कार्रवाई रिपोर्ट की अपनी मांग दोहराई।

सत्र से वॉकआउट करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए बाजवा ने सदन से वॉकआउट के पीछे के कारणों के बारे में बताया।

बाजवा ने कहा कि आप सरकार ने कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ को लेकर भाजपा को बेनकाब करने का दावा किया था और उसे नौ महीने हो गए हैं। आप कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी का ब्योरा देने में अब तक विफल रही है।

‘ऑपरेशन लोटस’ के झूठे प्रचार के मद्देनजर आप सरकार ने साढ़े तीन घंटे के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था जिसमें मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता शामिल थे। उस बहस पर करदाताओं का 6 करोड़ रुपये का पैसा बर्बाद हो गया। अब आप सरकार इस बारे में सवालों से बच रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाजवा ने कहा कि राज्य में किसी को भी उस एफआईआर की सही स्थिति के बारे में पता नहीं है। आप ने तब आरोप लगाया था कि आप के करीब 10 विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए 25-25 लाख रुपये की पेशकश की गई थी।

उन्होंने कहा, ‘आप सरकार ने पवित्र सदन को ‘बहस घर’ में तब्दील कर दिया है। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर पंजाब विधानसभा में बहस हो रही है।

बाजवा ने कहा कि विपक्षी दलों को सदन की कार्यसूची तैयार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन, पंजाब विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति और डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित मुद्दे सहित अन्य एजेंडों पर तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। सदन के सदस्यों को प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के अधिकार से वंचित कर दिया गया।

बाजवा ने कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम की धारा 125 में संशोधन का मतलब तारा सिंह-नेहरू समझौते का उल्लंघन होगा। जहां तक पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 में संशोधन के माध्यम से राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने का सवाल है, तो यह सरकार को केंद्रीय अनुदान के लाभों का लाभ उठाने से वंचित कर देगा क्योंकि यह केंद्रीय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है और संभावित रूप से सरकार को केंद्रीय अनुदान का लाभ उठाने से वंचित कर सकता है.


Share news