
जालंधर ब्रीज: पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने आज बड़ी कार्यवाही करते हुये झूठी डोप टैस्ट रिपोर्टें जारी करने, फर्जी हैंडीकैप्ड सर्टीफिकेट देने, डाक्टरी रिपोर्टों (एम.एल.आर) में हेराफेरी करके लड़ाई के दौरान चोटों की किस्म में बदलाव करने और आयुषमान भारत जन स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत बड़े स्तर पर रिश्वत लेने वाले मानसा अस्पताल के तीन मुलाजिमों को काबू करके बड़े स्कैंडल का पर्दाफाश किया है।
विजीलैंस ब्यूरो के मुख्य डायरैक्टर-कम-ए.डी.जी.पी. श्री बी.के उप्पल ने यह खुलासा करते हुये बताया कि सिविल अस्पताल, मानसा के कर्मचारियों द्वारा विभिन्न तरीकों से धाँधलियां करके भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इस संबंधी विजीलैंस ब्यूरो को प्राप्त सूचना के आधार पर पिछले 4 महीने से चलाए ऑपरेशन के दौरान जानकारी हासिल हुई कि विजय कुमार लैब टैकनीशियन, दर्शन सिंह फार्मासिस्ट और तेजिन्दरपाल शर्मा वित्त कम लॉजिस्टिक अफ़सर (एफ.एल.ओ)के द्वारा लोगों को झूठी डोप टैस्ट रिपोर्ट जारी करने, फर्जी हैंडीकैप्ड सर्टीफिकेट जारी करवाने, एम.एल.आरज़ में हेराफेरी करके चोट की किस्म में बदलाव करने और आयुषमान भारत जन स्वास्थ योजना के अंतर्गत बड़े स्तर पर रिश्वत ले रहे थे।
उन्होंने बताया कि परमजीत सिंह विर्क, सीनियर कप्तान पुलिस, विजीलैस ब्यूरो, बठिंडा रेंज, बठिंडा के नेतृत्व अधीन विजीलंैस ब्यूरो, बठिंडा रेंज की टीम द्वारा कार्यवाही करते हुए उक्त तीनों दोषियों के विरुद्ध धारा 420, 465, 467, 468, 471, 120 -बी, आई.पी.सी, 7,13 (1) (ए) भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के अधीन मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार किया गया है।
श्री उप्पल ने बताया कि यह कर्मचारी कुछ प्राईवेट अस्पतालों के मालिकों /डाक्टरों के साथ मिल कर आयुषमान भारत जन स्वास्थ योजना के अंतर्गत मरीजों के केस सिविल अस्पताल मानसा में से प्राईवेट अस्पतालों को इलाज के लिए रैफर कर देते थे, इस तरह इस योजना का दुरुपयोग करते हुए यह कर्मचारी उन मामलों में भी बड़े स्तर पर रिश्वतें हासिल करते थे।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि सिविल अहस्पताल मानसा में डोप टैस्ट करवाने के लिए आए व्यक्तियों में से जिन व्यक्तियों के नतीजे पॉजिटिव आते थे, उनसे करीब 10,000 /-रुपए प्रति व्यक्ति रिश्वत के तौर पर हासिल करके डोप टैस्ट का पॉज़ेटिव नतीजा बदल कर नेगेटिव कर दिया जाता था। इस प्रकार कई नशेड़ी व्यक्ति भी हथियार लायसंस बनवाने और रीन्यू करवाने में सफल हो जाते थे। उन्होंने बताया कि सिविल और पंजाब पुलिस में नौकरी करते कई अधिकारी /कर्मचारी जो नशे के आदी हो चुके थे, वह भी रिश्वत देकर डोप टैस्ट में पास हो जाते थे।
विजीलैंस प्रमुख ने बताया कि इसके अलावा इन दोषियों की तरफ से लड़ाई -झगड़े के दौरान अस्पताल में दाखि़ल होने वाले लोगों से डाक्टरों की मिलीभुगत से रिश्वत हासिल करके चोट की किस्म (नेचर ऑफ इंजरी) तक भी बदल दी जाती थी। यह कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों को फर्जी हैंडीकैंपड सर्टिफिकेट बनवा कर देने के एवज़ में भी उनसे लाखों रुपए रिश्वत हासिल कर रहे थे।
श्री उप्पल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में अहम पदों पर काम करते यह कर्मचारी लोगों की जि़ंदगी के साथ खिलवाड़ करते थे और गलत डोप टैस्ट करके समाज पर बुरा प्रभाव डाल रहे थे। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस केस में गिरफ्तार किये दोषियों से गहराई से पूछताछ की जा रही है और अस्पताल के सम्बन्धित रिकॉर्ड को पढ़ा जा रहा है। आगे की जाँच जारी है यदि और जो कोई भी कोई दोषी पाया जाता है तो उसे भी नहीं बक्शा जायेगा।
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