June 17, 2025

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पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद 27 साल बाद पीडि़त परिवार को मिला इंसाफ

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जालंधर ब्रीज: पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद नहर विभाग के एक कर्मचारी के पीडि़त परिवार को न्याय मिला है, जो 31 साल पहले लापता हो गया था। आयोग द्वारा कड़ी कार्रवाई के बाद फरवरी 1995 से परिजनों को फैमिली पेंशन मिलने के लिए रास्ता साफ हो गया है।

आयोग के सदस्य ज्ञान चंद ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला लुधियाना के गांव टूसा निवासी मोदन सिंह ने 7 दिसंबर 2018 को आयोग से शिकायत की थी कि नहर विभाग में बेलदार के रूप में कार्यरत उसका बेटा सुदागर सिंह सेवा के दौरान लापता हो गया था। वर्ष 1992 से संबंधित विभाग से राशि एवं पारिवारिक पेंशन के संबंध में पत्र व्यवहार करने वाले परिवार को कुछ राशि तो मिली लेकिन पारिवारिक पेंशन नहीं और डी.सी.आर.जी. रकम नहीं। इसलिए पीडि़त परिवार ने आयोग का दरवाजा खटखटाया।

शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने एक्सीअन रोपड़ (हेडवर्कस) को लिखा और जानकारी मांगी, जिसका विभाग ने 10 जून, 2019 को पत्र के माध्यम से जवाब दिया कि कार्यालय ने सभी बकाया भुगतान के संबंध में लिखा था, लेकिन शिकायतकर्ता को केवल एक छोटी राशि मिली, वो भी बिना फैमिली पेंशन के। बकाया भुगतान के संबंध में विभाग ने जिला कोषालय कार्यालय को पत्र लिखा है। आयोग ने जिला कोषालय कार्यालय से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें बताया गया है कि एजी चंडीगढ़ को फैमिली पेंशन के भुगतान के लिए पहले ही लिखा जा चुका है।

अधिक जानकारी देते हुए आयोग के सदस्य ने कहा कि आयोग ने इसके बाद एजी के कार्यालय को 10 पत्र भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसलिए, आयोग ने एजी, पंजाब को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया। नतीजतन, 25 फरवरी, 2022 को सहायक लेखा अधिकारी प्रदीप कुमार और सलाहकार सुनील कुमार गुप्ता पूरे रिकॉर्ड के साथ आयोग के सामने पेश हुए। आयोग ने दोनों अधिकारियों के साथ मामले पर गहन चर्चा की, जो सहमत थे कि शिकायत उचित है। एजी कार्यालय ने 2-4 दिनों में मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया।

आयोग के सदस्य ने आगे कहा कि एजी कार्यालय ने 8 जून, 2022 को एक पत्र के माध्यम से सूचित किया कि लापता कर्मचारी के परिजनों को पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा। इस संबंध में एजी कार्यालय ने जिला कोषालय कार्यालय को 31 मई 2022 को पत्र लिखा जा चुका है।


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