
जालंधर ब्रीज:ज़िले में पराली के सभ्यक प्रबंधन और पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि दफ़्तर में प्रशिक्षण प्रोगराम करवाया गया, जिसमें जालंधर के कृषि विकास अधिकारियों, एगरिक एक्स्टेंशन अधिकारियों और कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण प्रोगराम दौरान इंजीनियर नवदीप सिंह ने फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूक किया। उन्होनें गेहूँ, आलू और सब्जियों की बिजाई से पहले पराली प्रबंधन के अलग -अलग तरीकों के बारे में जानकारी दी।
इंज. नवदीप सिंह ने बताया कि सुपर एसएमएस के साथ फ़सल की कटाई के बाद मल्चर का प्रयोग और बाद में रोटावेटर या आरएमबी प्लोअ के प्रयोग से आलू की बिजाई जल्दी और आसानी से हो जाती है। इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और पानी संभालने के सामर्थ्य में विस्तार होता है। इसी तरह सुपर एसएमएस के प्रयोग से सुपरसीडर या हैपी सीडर तकनीकों के द्वारा गेहूँ की सीधी बिजाई की जा सकती है।
इससे पहले डा. कुलदीप सिंह पंधू डायरैक्टर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) नूरमहल, जालंधर ने जहाँ केवीके की कार्यप्रणाली के बारे में अवगत करवाया, वही डा. मनिन्दर सिंह सीनियर ज़िला ऐकस्टैनशन सपैशलिस्ट पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने एक्स्टैशन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया।
अंत में मुख्य कृषि अधिकारी, जालंधर डा. सुरिन्दर सिंह ने संबोधन में कहा कि जिले में पराली प्रबंधन के लिए बड़ी संख्या में मशीनरी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होनें कहा कि सभी आधिकारियों को उन किसानों के साथ सीधा संपर्क करने के निर्देश दिए, जिन्होंने पिछले साल धान की पराली को आग लगाई थी। उन्होनें कहा कि आधिकारी किसानों को भरोसो में ले कर उन्हें कस्टम हायरिंग सैंटरों या सहकारी सभाओं के द्वारा पराली प्रबंधन के लिए मशीनें उपलब्ध करवाएं ,जिससे पराली जलाने के रुझान पर रोक लगाई जा सके।
उन्होनें इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हर उपलब्ध मशीन से सामर्थ्य अनुसार पूरा काम लिया जाए।
इस अवसर पर कृषि अधिकारी डा. यशवंत राय, डा. अरुण कोहली दोनों एडीओ, डा. सुरजीत सिंह और डा. मनदीप सिंह ने भी संबोधन किया।
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