June 18, 2025

Jalandhar Breeze

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पंजाब सरकार ग़ैर-कानूनी माइनिंग को रोकने के लिए स्टोन क्रशिंग संबंधी नियमों और दिशा-निर्देशों में करेगी संशोधन

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जालंधर ब्रीज: राज्य में ग़ैर-कानूनी माइनिंग पर रोक लगाने और वातावरण को दूषित होने से रोकने के लिए आज पंजाब मंत्रीमंडल ने विभिन्न संशोधनों के द्वारा और अधिक कड़े दिशा-निर्देशों और नियमों को मंज़ूरी दी।पंजाब माइनर मिनरल रूल्ज, 2013 और पंजाब राज्य में स्टोन क्रशरों की रजिस्ट्रेशन और कार्य के लिए नीतिगत दिशा-निर्देश, 2015 में संशोधन किया जायेगा जिससे राज्य में निकाले गए किसी भी तरह के छोटे खनिज का सही ढंग के साथ हिसाब रखना यकीनी बनाया जा सके।

यह फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की वर्चुअल मीटिंग में लिया गया। इन नियमों /दिशा-निर्देशों संबंधी चार अहम संशोधनों के साथ ग़ैर-कानूनी स्टोन क्रशरों पर सख्ती के साथ रोक लगाने का रास्ता साफ होगा।इन संशोधनों के द्वारा किसी भी रूप में खनिजों की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किए जाते वाहनों की रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है, खनिज ट्रांसपोर्ट के लिए पर्मिट की ज़रूरत और वाहनों की रीयल टाईम ट्रेकिंग के लिए जी.पी.एस. भी लगाना होगा। इसके साथ ही राज्य में खनिजों की खुदाई में शामिल व्हील माऊंटेड /चेन माऊंटेड ऐक्सक्वेटर्स /पोकलेन्ज़ की रजिस्ट्रेशन और ऐसीं सभी मशीनों की रजिस्ट्रेशन और इनकी रीयल टाईम निगरानी के लिए जी.पी.एस. लगाया जायेगा।

यदि कोई व्यक्ति ग़ैर-कानूनी रॉयल्टी वसूलने या स्लिपों की जांच के लिए चैक-पोस्ट /नाका स्थापित करने की कोशिश करता है तो इन संशोधनों के अंतर्गत सरकार को एम.एम.डी.आर. एक्ट, 1957 और आई.पी.सी. के अंतर्गत भारी जुर्माना लगाने का अधिकार होगा। यह जल स्रोत विभाग को स्टोन क्रशरों पर नज़र रखने के भी योग्य बनाएगा क्योंकि विभाग की तरफ से विकसित किये ऑनलाइन पोर्टल पर उनकी रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही उनकी तरफ से प्रोसैस्ड मटीरियल का सही तरीके से हिसाब लिया जायेगा। इसी तरह ग़ैर-कानूनी यातायात को रोकने के लिए खनिजों की ढुलाई करने वाले वाहनों को ट्रांसपोर्ट पर्मिट जारी करने के नियमों में भी उचित संशोधन किया जा रहा है।

ज़िक्रयोग्य है कि पंजाब में पंजाब रेत और बजरी खनन नीति, 2018 के अंतर्गत रेत और बजरी की खदानों संबंधी खनिज रियायतों का ठेका ई-ऑकशन के द्वारा विभिन्न ठेकेदारों को दिया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों अनुसार अलग-अलग मामलों में कच्चे माल का प्रयोग करने और स्टोन क्रशरों की तरफ से कच्चे माल का हिसाब देने में बड़ा अंतर पाया गया है, जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ग़ैर-कानूनी माइनिंग से कच्चा माल निकाला गया, जिसका कोई रिकार्ड नहीं था।

इसलिए एन.जी.टी. की तरफ से तीन महीनों के अंदर स्टोन क्रशरों संबंधी एक उपयुक्त विधि अपनाने के निर्देश जारी किये गए जिससे स्टोन क्रशरों को गैरकानूनी कच्चा माल निकालने से रोका जा सके।इसके उपरांत पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को स्टोन क्रशर नीति में संशोधन करने के लिए निर्देश भी जारी किये गए जिससे जल स्रोत विभाग के माइनिंग डिवीज़न से पहले प्राप्त एन.ओ.सी. के उपरांत ही स्टोन क्रशरों के लिए नये आवेदनों पर विचारा किया जा सके।


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