
जालंधर ब्रीज: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोविड महामारी के साथ कारगर ढंग से निपटने में राज्य सरकार के नाकाम रहने के लगाऐ दोषों को स्पष्ट शब्दों रद्द करते हुए आज भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) को अपने प्रस्तावित धरने के प्रति आगे न बढ़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह धरना बड़े स्तर पर कोरोना फैलने का कारण बन सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पंजाब के हालत दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे राज्यों जैसे होने से रोकने में सख्त लड़ाई लड़ी है और यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश जहाँ गंगा नदी में तैरती लाशों ने भाजपा की सत्ता वाले राज्य की इस महामारी के साथ निपटने में कुप्रबंधों का पर्दाफाश करके रख दिया। उन्होंने कहा कि पटियाला में भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के तीन दिवसीय प्रस्तावित धरने जैसी कोई भी गतिविधि राज्य में कोविड से निपटने के लिए उनकी सरकार की तरफ से अब तक की कोशिशों पर पानी फेर सकती है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसान जत्थेबंदी को महामारी के समय खास कर जब राज्य में सभी भीड़ों पर मुकम्मल पाबंदी है, तो इस दौर में ऐसे लापरवाही वाले रवैये से गैर -जिम्मेदारी वाला काम न करने और लोगों की जिंदगीयां खतरे में न डालने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पाबंदी की कोई भी उल्लंघना पंजाब और यहाँ के लोगों के हितों के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे धरने में मुख्य तौर पर गाँवों के लोग शामिल होंगे जबकि गाँव महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी न किसी हालत में संकट में से गुजर रहे हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसान जत्थेबंदी का यह कदम केंद्र सरकार के काले खेती कानूनों के मुद्दे पर इन महीनों के दौरान संघर्षशील किसानों के साथ राज्य सरकार के सदृढ़ सहयोग को विचारते हुए पूरी तरह अनुचित कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उनकी सरकार ने केंद्र के खेती कानूनों का विरोध करते हुए राज्य की विधान सभा में संशोधन कानून पास किये थे। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय किसानों की तरफ से बदले में महामारी के विरुद्ध लड़ाई में राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का है।’’ उन्होंने आगे कहा कि जैसे किसानों के हित पंजाब के साथ जुड़े हुए हैं, उसी तरह पंजाब के हित भी कोविड के खिलाफ लड़ाई में उनकी सरकार को किसान के सहयोग करने पर निर्भर हैं।
मुख्यमंत्री ने इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि पंजाब में कोविड की दूसरी लहर के शिखर के दौरान भी हालात काबू से बाहर नहीं हुए जैसे कि कुछ दूसरे राज्यों में घटा है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के प्रबंधन के सम्बन्ध में अब तक राज्य बेहतर कारगुजारी दिखाने वालों में से एक है। उन्होंने कहा कि आक्सजीन की सप्लाई की कमी के बावजूद अस्पतालों में आक्सीजन की बड़ी स्तर पर कोई कमी नहीं हुई क्योंकि राज्य सरकार ने इस अहम वस्तु का उचित प्रबंधन यकीनी बनाया। उन्होंने आगे कहा कि केस बढ़ने के दौरान दवाएँ, बैड आदि को उसी गति में बढ़ाया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से बिल्कुल उलट है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने महामारी को प्रभावी ढंग के साथ निपटने में उनकी सरकार के नाकाम रहने के लगाऐ सभी दोष खारिज करते हुए कहा कि पंजाब इस समय पर सिर्फ वैक्सीन की कमी की गंभीर समस्या में से गुजर रहा है और यह भी राज्य सरकार की कुप्रबंधों के कारण नहीं बल्कि केंद्र सरकार के कारण यह नौबत बनी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, मैडीकल भाईचारे के लोग, पुलिस, सिवल प्रशासन और गाँव की पंचायतों (जो ठीकरी पहरे लगा रही हैं) के यत्नों के कारण पंजाब में सफलतापूर्वक ढंग से 22 मई तक कोविड केस की संख्या 5421 तक पहुँच गई और 201 मौतें हुई जबकि केवल दो हफ्ते पहले मामलों की संख्या 10,000 तक थी। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कोविड सम्बन्धी एहतियात में लापरवाही बरतने की कोई गुंजाईश नहीं और किसी किस्म की रैलियाँ या धरने उस समय पर पूरी तरह न -मंजूर हैं, जब लोगों की जिंदगी दांव पर लगी हो।
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