
जालंधर ब्रीज: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने जांच के अमल को सख्ती से यकीनी बनाने और अपराधिक मामलों खास कर घृणित जुर्मों और महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों के विरुद्ध अपराध के मामलों में सजा दर में सुधार लाने के लिए आज सभी रैंकों के पुलिस अधिकारियों के द्वारा अपराधिक मामलों की जांच के लिए विशेष लक्ष्य निर्धारित करने के हुक्म दिए हैं।
इससे पुलिस कमिशनर के रैंक से लेकर एस.पी. से नीचे एस.एच.ओज., सब-इंस्पेक्टरों और हैड कांस्टेबलों तक सभी पुलिस अधिकारियों को एक साल में दिए हुए मामलों में निजी तौर पर जांच करने और चालान पेश करना होगा और सीनियर अधिकारी की तरफ से सख्ती से निगरानी की जाया करेगी। मुख्यमंत्री के हुक्मों के मुताबिक निरंतर पैरवी करने के साथ-साथ मुकदमे और लॉ अफसरों के साथ के नजदीकी तालमेल रखना भी जरूरी होगा। मुख्यमंत्री के इन हुक्मों का उद्देश्य बिना किसी लापवरवाही के सख्ती से लागू किये जाने को यकीनी बनाना है।
मुख्यमंत्री जिनके पास गृह मामलों का भी विभाग है, के हुक्मों पर डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता की तरफ से जारी की हिदायतों के मुताबिक तीन पुलिस कमिशनरेट में ए.डी.सी.पीज़ और जिलों में एस.पीज़ एक साल में कम से -कम छह घृणित जुर्मों की निजी तौर पर जांच करेंगे और अपने नाम के तहत चालान पेश करेंगे। इसी तरह ए.सी.पी./डी.एस.पी. सब-डिवीजनों को एक साल में कम से -कम आठ घृणित अपराधों की निजी तौर पर जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है और अपने नाम के तहत चालान पेश करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन मामलों की जांच और पैरवी की प्रगति को जांचने के बाद वह यह लक्ष्य निश्चित करने के लिए मजबूर हुए हैं जबकि यह सभी पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी का अग्रणी कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमन -कानून व्यवस्था को यकीनी बनाने के लिए ड्यूटी निभाने, काम के दबाव और गजटिड पुलिस अधिकारी, जिन पर अलग-अलग रैंकों के जांच अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए जिम्मेदारी है, की तरफ से निगरानी की कमी के कारण इन मामलों की जांच और पैरवी पर प्रभाव पड़ता है।
इस कारण जवाबदेही तय करने के लिए निगरान अधिकारी (एस.पीज, एस.डी.पी.ओज और डी.एस.पीज) को हिदायत की गई है कि सभी गंभीर और संवेदनशील अपराधों से जुड़े मामलों की जांच में अपने आप को शामिल करें और अपराधिक फाइलों में निगरान नोट दर्ज किया जाये, रनिंग क्राइम नोटबुक लिखी जाये और जांच के स्तर में सुधार लाने के लिए जरुरी दिशा-निर्देश जारी किये जाएँ। इसी तरह पुलिस कमिशनर/जिला पुलिस मुखियों को भी यह यकीनी बनाने के आदेश दिए गए हैं कि जिलों में तैनात निगरान अधिकारी अलग-अलग अफसरों को जांच के लिए दिए लक्ष्य के मुताबिक के हिदायतों की पालना करवाई जाये।
घृणित अपराधिक मामलों में स्थिति विशेष तौर पर चिंताजनक है। इनमें कत्ल, इरादा कत्ल, डकैती/लूट, बलात्कार, अपहरण, फिरौती, पोस्को एक्ट, एन.डी.पी.सी. एक्ट, यू.ए.पी.ए. एक्ट, आई.टी. एक्ट और महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों के विरुद्ध अपराधों वाले संवेदनशील मामले और ऐसे अपराध शामिल हैं जो अंतर-राज्जीय प्रभाव डालने वाले जुर्म हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहाँ तक कि ऐसे मामलों में उन्होंने इस बात का भी नोटिस लिया है कि प्रभावी ढंग से जांच करने के लिए निगरान अधिकारियों को सीनियर अधिकारियों की तरफ से उचित आदेश और सीध नहीं दी जा रही। इसी तरह यह भी ध्यान में आया है कि थानों में तैनात एस.एच.ओज़ और सब इंस्पैकटरों भी घृणित जुर्मों की निजी तौर पर निगरानी नहीं करते और अक्सर इन मामलों को अपने से निचले पुलिस मुलाजिमों को सौंप देते हैं जो कानून के उपबंधों की घोर उल्लंघना है।
ताजा दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि विशेष रिपोर्ट (एस.आर.) किये मामलों खासकर कत्ल, बलात्कार, समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार और अन्य संवेदनशील और सनसनीखेज मामलों में एसीपी/डीएसपी सब-डिविजन और पी.बी.आई. के अधिकारी मामलों के हल होने तक जुर्म वाली जगह नजदीक अपना ठहराव करेंगे। वह जांच की प्रक्रिया के दौरान एस.एच.ओज को केस फाइल में दिए स्पष्ट निगरानी नोटों के के द्वारा सीध देंगे।
जहाँ तक एन.जी.ओज और हैड कांस्टेबल (एच.सीज़) के द्वारा जांच का सम्बन्ध है, डी.जी.पी. ने मुख्यमंत्री के आदेशों की पालना करते हुये निर्देश दिए हैं कि प्रत्यक्ष तौर पर भर्ती किये सब इंस्पेक्टर एक साल के समय के अंदर अपराध के कम से कम 8 घृणित मामलों, आई.पी.सी. के अधीन दर्ज 10 छोटे मामलों और 10 स्थानीय और विशेष कानूनी मामलों की जांच करेंगे। पुलिस स्टेशनों में पदोन्नति के द्वारा तैनात सब इंस्पेक्टर और सहायक सब इंस्पेक्टर एक साल की मियाद में घृणित अपराधों के कम से कम 6 मामलों, 10 अन्य आइपीसी मामलों और 15 स्थानीय और विशेष कानूनी मामलों की जांच करेंगे, जबकि रेगुलर हैड कांस्टेबल साल में आई.पी.सी. के अधीन दर्ज कम से कम 5 मामलों और 10 स्थानीय और विशेष कानूनी मामलों की जांच करेंगे।
यह सभी अधिकारी कार्यवाही को आगे बढ़ाने और जांच से जुड़े सभी कामों जैसे छापेमारी, तलाशी, बरामदगियां, जांच, चालान तैयार करने और खत्म होते की पैरवी करना आदि के लिए जिम्मेदार होंगे।
विशेष तौर पर रिपोर्ट किये सभी मामलों की जांच कार्यवाही ध्यान से चलाई जायेगी और मुकदमों के उचित प्रबंधन के लिए निगरान अधिकारी की तरफ से पैरवी करने वाले अफसरों के साथ तालमेल किया जायेगा। यह अधिकारी महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों में उचित तरीके से गवाहों की हाजिरी और गवाही को यकीनी बनाने के लिए पैरवी/लॉ अफसरों के साथ भी तालमेल करेंगे जिससे जमानत रद्द करने, पुलिस रिमांड प्राप्त करने और ऐसे केसों में मुलजिम को दोषी ठहराया जाना और सजा यकीनी बनाई जा सके।
डीजीपी ने आगे निर्देश दिए हैं कि आईजीपी/डीआईजी रैंज, सीपीज और एसएसपीज़ इन दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना को यकीनी बनाऐंगे और एस.ओज. और एस.एच.ओज और डी.बी.ओ.आई. पंजाब में प्रत्यक्ष भर्ती किये गए एस.आईज की तरफ से जांच किये जा रहे घृणित केस की रिपोर्ट 5 जनवरी, 2021 तक भेजेंगे।
आईजीपी/डीआईजी रैंज मासिक अपराध मीटिंग करवाने के लिए जिम्मेदार होंगे जबकि सीपीज और एसएसपीज साप्ताहिक अपराध मीटिंग करेंगे। इसके साथ ही आईजीपी/डीआईजी रैंज, सीपीज और एसएसपीज ऐसी मीटिंग के दौरान मामले की जांच सम्बन्धी उपरोक्त निर्देशों की पालना की समीक्षा करेंगे।
क्षेत्रीय दर्जाबन्दी के अलावा बीओआई/साईबर क्राइम, एसटीएफ, सीआई (एसएसओसी), एनआरआई, जीआरपी समेत सभी विंगों की तरफ से भी उपरोक्त निर्देशों की पालना की जायेगी।
श्री गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले पंजाब ब्यूरो आफ इनवैस्टीगेशन (पीबीआई) को नोटीफायी किया था और घृणित अपराधों का पता लगाने के लिए एसपीज और डीएसपीज के 125 से अधिक पदों को मंजूरी दी थी। इसके अलावा जटिल मामलों में सहायतों के लिए कानून, फोरेंसिक, वाणिज्य, आई टी और साईबर अपराध के क्षेत्रों में 800 अन्य कार्य-क्षेत्र माहिरों के पदों को मंजूरी दी गई थी।
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