
जालंधर ब्रीज: भारतीय जनता पार्टी, पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने चंडीगढ़ में आयोजित नीट 2021 की प्रवेश परीक्षा देने के लिए गए चंडीगढ़ वासी भूपिंदर सिंह के सुपुत्र एक अमृतधारी सिख परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र में प्रवेश देने से पहले उसका कड़ा (धार्मिक प्रतीक चिह्न) उतरवाने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए इसकी घोर निंदा की है। अश्वनी शर्मा ने इस मामले में शिक्षा मंत्री भारत सरकार तथा अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा को शिकायत कर इस मामले में हस्तक्षेप कर की जाँच करवाने तथा आरोपियों के विरुद्ध कठोर करवाई किए जाने की माँग की है।
अश्वनी शर्मा ने इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस से सिख समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने कहा कि एन.ई.ई.टी. (NEET) की परीक्षा में सिख मर्यादायों को ध्यान में रखते हुए अमृतधारी सिख परीक्षार्थियों को उनके ककारों (धार्मिक मर्यादा के चिन्ह) सहित बैठने देने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने ऐसे कई मामले पहले भी हो चुके हैं, जब अमृतधारी सिख परीक्षाथियों को उनके पहने ककारों के साथ नीट की परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया था। जानकारी के मुताबिक सी.बी.एस.ई. के अध्यक्ष राकेश कुमार चतुर्वेदी द्वारा करवाई गई नीट परीक्षा के दौरान सिख परीक्षार्थियों को कड़ा और कृपाण पहन कर परीक्षा में बैठने पर रोक लगा दी थी, जिससे सिख परीक्षार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सिख परीक्षार्थियों को परीक्षा से दो घंटे पहले चैकिंग के नाम पर बुलाया जाता है और परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में सभी नागरिकोण के अधिकार एक समान हैं तो फिर ए भेदभाव कैसा? शर्मा ने कहा कि इससे पहले प्री मेडिकल परीक्षा (एआइपीएमटी) के लिए जयपुर में बने एक परीक्षा केंद्र में अलवर के अमृतधारी सिख विद्यार्थी को कड़ा और कृपाण उतारने को मजबूर किया गया था। विद्यार्थी ने इस संबंध में ईमेल के माध्यम से इसकी शिकायत भी की थी।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25-A के तहत सिखों को ककार धारण करने के मिले अधिकारों की अनदेखी बार-बार कई बार की जा चुकी है। ककार अमृतधारी सिख के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है और रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न अंग है। यदि ककार धारण करके सिख को देश की सुप्रीम कोर्ट और संसद में जाने की भारत का संविधान आज्ञा देता है, तो फिर परीक्षा केंद्र में किस आदेश व नियम के तहत व क्यूँ सिख विद्यार्थीयों के साथ इस तरह का बर्ताव किया जाता है?
अश्वनी शर्मा ने कहा कि सिख ककारों का हिस्सा कड़ा व कृपाण सिखों की धार्मिक पहचान के तौर पर मान्यता रखते हैं। शर्मा ने सिख मान्यता का हवाला देते हुए कहा कि हर अमृतधारी सिख के लिए ककार पहनना जरुरी है क्यूंकि यह सब सिखों के धार्मिक चिन्ह हैं और इसलिए सिख इन ककारों कोअपने अंग-संग रखते हैं।
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