June 19, 2025

Jalandhar Breeze

Hindi Newspaper

सावन महीने पर गुरलीन कौर की तरफ से लिखी एक खूबसूरत कविता

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जालंधर ब्रीज: 

किदरे छम – छम पैंदिया कणीयाँ,

किदरे धुप मारे चमकारे ।

पला च कालियाँ घटावा चड़ आवण,

झट उड़ जान दूर किनारे ।

आओ सखिओ वेख लवो,

इह हन सावन माह दे नजारे ।

धीयां बैन हो के इकठियाँ,

पिंगा ते रल मिल लेण हुलारे ।

सज विहाइयाँ पेके आइयां,

कई मानदियां खुशियाँ घर सोहरे ।

जीना दे दिलबर दूर गए परदेसी,

उह चित हौला करके करन गुजारे ।

हर पासे छाई हरिआली,

गुलजारां लागियाँ पारे चारे ।

माल पुडे ते बनन पकवान,

भांत भांत दे घरां विच सारे ।

इक सुरताल च पेंदा गिदा,

जिस दी सिफ़त होवे चारे -पासे ।

गुरमितों दा वेखन नू गिदा,

कई भूखे भाने फिरन विचारे ।

फ़कीरा करे अरदास रबा ,

आवे हर साल सावन खुशियाँ ले चफेरे ।

गुरलीन कौर करतारपुर


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