
जालंधर ब्रीज: डॉ. बीआर अम्बेदकर नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टैकनोलोजी (एनआईटी), जालन्धर ने बहुउद्देशीय टाइमर-फिटेड सैनिटाइजिंग केबिन की खोज की है, जो पैक्ड खाद्य पदार्थों को भी सैनीटाईज़ कर सकता है। यह कागज़ों, फाईलों, प्रयुक्त मास्कों व दस्तानों, चाबियों के साथ-साथ करेंसी नोटों व क्रैडिट कार्डों को भी रोगाणु-मुक्त करता है।
एक डिब्बे के आकार का यह पोर्टेबल सैनीटाईज़र अथवा रोगाणु-नाशक है, जिसके भीतर ऊपर व नीचे की ओर अल्ट्रा-वॉयलट (यूवी – परा-बैंगनी) लाईटें लगी हुईं हैं। इसका अल्ट्रा-वॉयलट रेडिएशन किसी वस्तु की सतहों पर जमा हुए वायरस, बैक्टिरिया अथवा फफूंद जैसे सूक्ष्म परजीवी रोगाणुओं का उन्मूलन कर देता है – सैनीटाइज़िंग हेतु वस्तु को दराज के भीतर रखना पड़ता है।
इस तथ्य से सब भली-भांति वाकिफ़ हैं कि यूवी-सी रेडिएशन वायु, जल व सतहों को रोगाणु-मुक्त कर सकता है तथा यह किसी संक्रमण के ख़तरे को कम करने में भी सहायक हो सकता है तथा 40 से भी अधिक वर्षों से इस का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। अब तक के सभी टैस्टों में यूवी-सी सदैव बैक्टिरिया एवं वायरसों का उन्मूलन करता देखा गया है। इस समय अल्ट्रा-वॉयलट प्रकाश का उपयोग खाद्य उद्योग की बहुत सी एप्लीकेशन्स में किया जाता है क्योंकि यह पूर्णतया सुरक्षित है, इसके रख-रखाव का ख़र्च कम है तथा इस में किसी रसायन अथवा कीट-नाशक का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अमेरिकन ‘खाद्य एवं दवा प्रशासन’ (एफडीए – फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) पहले ही यूवी रेडिएशन की भोजन हेतु एक ‘सरफ़ेस एंटीमाईक्रोबियल’ उपचार के तौर पर उपयोग की शर्तें निर्धारित कर चुका है। जब परा-बैंगनी रेडिएशन संसाधनों में कम दबाव वाले मर्करी लैंप होते हैं, तो इसका सुरक्षित उपयोग एक सरफ़ेस एंटीमाईक्रोबियल’ उपचार के तौर पर किया जा सकता है।
एनआईटी के निदेशक डॉ. एलके अवस्थी एवं इनस्टरूमैंटेशन एण्ड कंट्रोल इन्जिनियरिंग के एसोसिएट प्रोफ़ैसर डॉ. कुलदीप सिंह नगला द्वारा इस उपकरण का डिज़ाईन तैयार किया गया है तथा यह ‘मानवों एवं बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित’ है। डॉ. अवस्थी ने बताया कि चाहे बाज़ार में ऐसे अन्य भी कुछ यूवी-उपकरण उपलब्ध हैं परन्तु इस अनुकूल सैनीटाईज़र की कुछ ऐसी विशेषतायें हैं, जो इसे अधिक मानव अनुकूल बनाती हैं।
डॉ. नगला ने बताया कि यह उपकरण प्रयोक्ताओं हेतु सुरक्षित है क्योंकि इस में से निकलने वाली किसी भी वस्तु से उन्हें कोई जोखिम नहीं है। जब दराज खुला होता है, तो यूवी प्रकाश स्वचालित रूप से बन्द होता है। छिद्रों वाली एक्रिलिक शीटें व प्रकाश कुछ इस ढंग से फ़िट किए गए हैं कि जिससे वस्तुएं सभी कोणों से रोगाणु-मुक्त हो जाती हैं।
घरों व कार्यालयों में प्रयोग हेतु सुरक्षित होने के साथ यह बैंकरों के लिए भी सहायक हो सकता है। वे करेंसी नोटों से निपटते समय वायरसों से स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं क्योंकि विभिन्न वायरस के संक्रमण इन्हें भी लग सकते हैं।
प्रयोक्ता वस्तु व उसके आकार के अनुसार टाईमर सेट कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, बैंकों में कोषाध्यक्ष करेंसी नोट रख सकते हैं तथा 120 सैकण्डों हेतु टाईमर सेट कर सकते हैं तथा 120 सैकण्डों के बाद यह उपकरण स्वचालित रूप से बन्द हो जाएगा। इसी प्रकार पैक्ड खाद्य पदार्थें, बोतलों इत्यादि के मामले में टाईमर को 300 सैकण्डों तथा अन्य कुछ मामलों में इसे और भी अधिक समय हेतु सैट किया जा सकता है। बैक्टिरिया एवं वायरस के अत्यधिक प्रकार होते हैं। बेसिल्स, ऐंथ्रासिस, स्पोर्स जैसे कुछ बैक्टिरिया के उन्मूलन हेतु एक्सपोज़र समय अधिक भी रखा जा सकता है। इसके भीतर लगा एक पंखा सुरक्षा हेतु तापमान नियंत्रित करता है।
डॉ. अवस्थी ने बताया कि इसे पहले ही पेटैंट हेतु प्रेषित किया जा चुका है तथा एनआईटी इसके व्यावसायिक उत्पादन हेतु एक निजी कंपनी के साथ गठजोड़ कर रही है। कोविड की वर्तमान महामारी वाली स्थिति के दौरान बैक्टिरिया, वायरसों व फफूंद से समाज को सुरक्षित रखने हेतु इस संस्थान द्वारा एक साल में की गईं 10 खोजों में से यह चौथी खोज है।
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