
जालंधर ब्रीज: ‘‘चुनौती बड़ी थी, लेकिन उससे बड़ा हमारा हौसला था। और इस हौसले के साथ हमने कोरोना जैसे मुश्किल दौर में लाहौल-स्पीति के दुर्गम गांवों तक हर संभव मदद पहुंचाई’’, ये कहना है लाहौल स्पीति स्थित यंग ड्रकपा एसोसिएशन (वाईडीए) नामक एनजीओ के अध्यक्ष सुशील कुमार का’।
लाहौल घाटी का अधिकांश क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है, तापमान शून्य से नीचे रहता है और यहां मौसम कब करवट ले, पता नहीं चलता है। यहां की भोगौलिक स्थिति विषम है और जीवनयापन करना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे हालातों में भी लाहौल स्पीति का वाईडीए एनजीओ पिछले साल से अब तक कोरोना के संकट में इस जनजातीय क्षेत्र की बढ़-चढ़ कर मदद कर रहा है। सुशील कुमार के अनुसार पिछले साल जब संपूर्ण लॉकडाउन लगा था, तब वाईडीए ने जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति के दूरस्थ गांवों जैसे भुजंड, सलगाह, कुथाल, लिमतियाल, बुचेड़ आदि दूरस्थ जनजातीय गांवों में जरूरी मदद पहुंचाई थी।

इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक किया व गांवों का सेनिटाइजेशन भी किया व सुरक्षाकर्मियों को पीपीई किट भी एनजीओ द्वारा दी गई। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जो लेबर यहां फंस गई थी उन्हें वाईडीए की किचन, जिसका नाम ‘किचन ऑफ लव’ है, वहां से खाना बना कर दिया जाता था।
सुशील कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके एनजीओ वाईडीए ने जरूरतमंदों को राशन और जरूरी दवाइयां वितरित की। साथ ही बाहर से आई लेबर को भी उन्होंने जरूरी सामान और तीन महीने का राशन मुहैया करवाया। साथ ही बाहर से आने वाली तमाम गाड़ियों का सेनिटाइजेशन का काम भी उनके एनजीओ ने किया।
वाईडीए के प्रैस सचिव कुंगा बौद्ध ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते अगस्त-सितंबर माह में अटल टनल खुलने के बाद लाहौल घाटी में कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे। तब से वाईडीए बाहर से आने वाली गाड़ियों को सेनिटाइज कर रहा है और लोगों को जरूरी दवाईयों से बनी किट जिनमें विटामिन सी, जिंक , विटामिन डी, गारगल , स्टीमर, ओक्सीमीटर, मास्क और सेनिटाइजर शामिल है, को घाटी के हर गांव-हर घर तक पिछले एक साल से पहुंचा रहा है।

कुंगा ने बताया कि आज भी जहां जहां कोरोना के मामले आ रहे हैं वहां वाईडीए के कार्यकर्ता गांवों को सेनिटाइज़ कर रहे हैं, लोगों को जागरूक कर रहे हैं और उन्हें जरूरी दवाइयों से बनी किट वितरित कर रहे हैं। वाईडीए के अध्यक्ष श्री सुशील कुमार बताते हैं कि हाल ही में उन्होंने ग्राम पंचायतों की मदद से घाटी के अंतिम गांव टींडी जा कर वहां लगभग 250 परिवारों को कोरोना के प्रति जागरुक किया, गांव को सेनिटाइज किया और कोविड से संबन्धित जीवनरक्षक किट भेंट की।
प्रैस सचिव कुंगा बताते हैं कि जब तक कोरोना के मामले आते रहेंगे उनका एनजीओ लोगों की मदद करता रहेगा और उन्हें कोरोना के प्रति हर संभव माध्यमों से जागरुक करता रहेगा।
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