
अखिल भारतीय पुलिस खेलों के 60 वर्षों के इतिहास को संजोए हुए एक अनूठी और अपनी तरह की अलग पुस्तक
खेलों के माध्यम से पंजाब पुलिस की दुनिया में एक अलग पहचान : एम.एफ. फारूकी
पंजाब पुलिस की समृद्ध खेल विरासत को आगे बढ़ाने के प्रयास जारी: एम.एफ.फारूकी
पंजाब पुलिस की खेल उपलब्धियों को लिखित रूप में संरक्षित करने के प्रयास जारी रहेंगे: राजदीप सिंह गिल
जालंधर ब्रीज: पूर्व डी.जी.पी. राजदीप सिंह गिल ने आज पी.ए.पी. परिसर में पंजाब का नाम रोशन करने वाले बड़े खिलाड़ियों की उपस्थिति में अखिल भारतीय पुलिस खेलों के 60 वर्षों के इतिहास को संजोए हुए एक अनूठी और अपनी तरह की अनूठी पुस्तक ‘एवर ऑनवर्ड्स’ का विमोचन किया। विमोचन की रस्म पूर्व डी.जी.पी. मेहल सिंह भुल्लर और पी.ए.पी. के ए.डी.जी.पी. एम.एफ. फारूकी ने किया ।

मेहल सिंह भुल्लर ने पुस्तक के लेखक को इस अनूठी पहल के लिए बधाई दी और अपने सेवाकाल की यादें भी सांझा की। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस जहाँ अपनी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जानी जाती है, वहीं खेल इसे अन्य से अलग बनाते हैं। पंजाब पुलिस को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है। यह पुस्तक 700 पृष्ठों की है।
एम.एफ. फारूकी ने पंजाब पुलिस में श्री भुल्लर और श्री गिल द्वारा स्थापित समृद्ध विरासत का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने बताया कि हाल ही में अमेरिका में हुए विश्व पुलिस खेलों में पंजाब पुलिस के खिलाड़ियों ने शानदार सफलता हासिल की।

राजदीप सिंह गिल ने बताया कि इस पुस्तक में 1951 से 2010 तक के अखिल भारतीय पुलिस खेलों के परिणाम और प्रत्येक वर्ष की सभी प्रतियोगिताओं के परिणाम, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, ओवरऑल ट्रॉफी, टीम खेलों के खिलाड़ियों का विवरण, पुराने दुर्लभ फोटोग्राफ और बड़े खिलाड़ियों की संक्षिप्त जीवनी शामिल है।
उन्होंने बताया कि पहला अखिल भारतीय पुलिस खेल 1951 में कटक (ओडिशा) में आयोजित किया गया था, जिसमें केवल 22 एथलेटिक स्पर्धाएँ आयोजित की गई। धीरे-धीरे इसमें नए खेल जोड़े गए और 1982 में महिलाओं की प्रतियोगिताओं को भी शामिल किया गया। इस पुस्तक में उन्होंने अखिल भारतीय पुलिस की घुड़सवारी और निशानेबाजी स्पर्धाओं को भी शामिल किया है।
श्री गिल ने आगे बताया कि इस पुस्तक के लिए सभी आँकड़े और तस्वीरें एकत्र करना एक कठिन कार्य था क्योंकि न तो अखिल भारतीय पुलिस खेल कंट्रोल बोर्ड के पास कोई जानकारी थी और न ही किसी राज्य पुलिस के पास। उन्होंने पुस्तक के लिए आवश्यक सभी जानकारी राज्य/केंद्रीय खेल कार्यालयों, समाचार पत्रों, पुस्तकालयों, सेवानिवृत्त खिलाड़ियों की पुस्तकों और पत्रिकाओं से एकत्र की। इस प्रक्रिया में कुल 10 वर्ष लगे। उन्होंने इस कार्य के लिए अपने सहायकों महिंदर सिंह, लखवीर सिंह और इंद्रवीर शर्मा का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर हॉकी ओलंपिक पदक विजेता सुरिंदर सिंह सोढ़ी, अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा और पद्मश्री बहादुर सिंह ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि पंजाब पुलिस की खेल उपलब्धियों का श्रेय अश्विनी कुमार, मेहल सिंह भुल्लर और राजदीप सिंह गिल जैसे ईमानदार अधिकारियों को जाता है, जिन्होंने मुश्किल समय में हर खिलाड़ी का साथ दिया।
खेल लेखक नवदीप सिंह गिल ने मंच संचालन करते हुए पुस्तक के बारे में अपने मुख्य भाषण में कहा कि पंजाबियों का मज़ाक उड़ाया जाता है कि पंजाबी इतिहास बनाना जानते हैं, उसे सहेजना नहीं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने पुलिस खेलों के साथ-साथ पंजाब के खेल इतिहास को भी सहेजा है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।
इस अवसर पर पद्मश्री सुनीता रानी, गुरदेव सिंह गिल, कर्नल बलबीर सिंह, हरदीप सिंह, तारा सिंह, रणधीर सिंह धीरा, जयपाल सिंह (सभी अर्जुन अवार्डी), कुलदीप सिंह भुल्लर, सुच्चा सिंह (दोनों ध्यानचंद अवार्डी), ओलंपियन संदीप कुमार, कुश्ती कोच पी आर सौंधी, पी.ए.पी. खेल सचिव नवजोत सिंह मेहल, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अजैब सिंह, कुलविंदर सिंह थियाडा, सरवन सिंह, अमनदीप कौर, राजविंदर कौर, गुरशरणजीत कौर, रंदीप कौर, राजपाल सिंह, पूर्व आई.पी.एस. अमर सिंह चहल और युरेंद्र सिंह हेयर आदि मौजूद रहे।
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