
अधिक जनसंख्या पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु को प्रभावित कर रही है: डॉ. बीकेएस संजय
जालंधर ब्रीज: प्रगति के साथ उद्देश्य, विकास के साथ हरित, विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन विषय पर एक संवाद का आयोजन द पायनियर, देहरादून के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापवृद्धि केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक संकट हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने वनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो इन प्रभावों को कम करने में सहायक हैं और सतत विकास पर एक महत्वपूर्ण संवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रख्यात अस्थि रोग विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. बी.के.एस. संजय ने कहा कि अत्यधिक जनसंख्या हमारे सभी समस्याओं की जड़ है। उन्होंने इसका एक सूत्र साझा किया “यदि 1 को 1 से अधिक संख्या से विभाजित किया जाए, तो भागफल सदैव 1 से कम ही आता है। यह हमारे संसाधनों पर भी लागू होता है।

यह संदेश सभी हितधारकों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने दो संतान का नियम अपनाने का सुझाव दिया, एक पुत्र और एक पुत्री। इससे जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ लिंगानुपात भी बना रहेगा। इससे आवास और रोजगार का बोझ भी कम होगा, क्योंकि माता-पिता के पास जो घर और नौकरी है, उसे उनके बच्चे साझा कर सकते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से न्यूनतमवाद अपनाने की अपील की एवं केवल उतना ही उपभोग करें जितनी आवश्यकता हो। जैसे हम एक जीवनसाथी से संतुष्ट रहते हैं, वैसे ही एक घर, एक नौकरी, एक कार, एक बैंक खाता, एक मोबाइल फोन से भी संतुष्ट रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग ऐसा कर सकते हैं। यदि हम इस सोच को अपनाएं, तो यह सामूहिक रूप से बड़े स्तर पर पर्यावरण संरक्षण में सहायक सिद्ध होगा।
डॉ. दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकॉस्ट, ने उत्तराखंड की पर्यावरणीय और ऐतिहासिक दृष्टि से रणनीतिक महत्ता को रेखांकित किया। बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष एमडीडीए, ने प्राकृतिक संसाधनों को अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करने की जिम्मेदारी को सरकार, नागरिक समाज और प्रत्येक व्यक्ति की साझा जिम्मेदारी बताया। सौरभ तिवारी, निदेशक बीआईएस, देहरादून ने जीवन के हर क्षेत्र में मानकों की महत्ता को उजागर किया। मानवविज्ञानी और लेखक डॉ. लोकेश ओहरी ने साइकिल ट्रैक और पैदल यात्रियों के लिए अनुकूल आधारभूत संरचनाएं बनाने जैसी पहलों की मांग की।

अनूप नौटियाल, संस्थापक एसडीसी फाउंडेशन, ने उत्तराखंड में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और इसके पर्यावरणीय परिणामों को लेकर चिंता जताई। इस संवाद कार्यक्रम में राज्य भर के प्रमुख विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों, जागरूक नागरिकों और छात्रों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम ने विकास और पर्यावरण संरक्षण की तात्कालिक आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने हेतु सहयोगात्मक संवाद का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया।
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