
जालंधर ब्रीज:
डिजीटल,ऑनलाईन संचार कोरोना कॉल का सबसे महत्वपूर्ण सबक हआवागमन पर प्रतिबन्द्ध के कारण परस्पर बातचीत अब वेबिनारों द्वारा तथा वर्चुयल ही होती है परन्तु इससे पहुंच अत्यधिक हो जाती है तथा ख़र्च नगण्य होता है; यह बात श्रीमति देवप्रीत सिंह, अपर महानिदेशक (उत्तर क्षेत्र), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘सरकारी संचार रणनीति- कोविड-19 के युग में संचार’ विषय पर एक वेबिनार के दौरान भागीदारों को संबोधन करते हुए कही। इस वेबिनार का आयोजन भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के चण्डीगढ़ स्थित रीजनल आऊटरीच ब्यूरो एवं पत्र सूचना कार्यालय द्वारा पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पत्रकारिता व जन-संचार विभाग के सहयोग द्वारा किया गया था।
रीजनल आऊटरीच ब्यूरो, चण्डीगढ़ के निदेशक (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) श्री आशीष गोयल ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की क्रियात्मक संरचना संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि सरकारी संचार का प्रमुख दायित्व जन-साधारण को अपने कल्याण हेतु सूचित किए विकल्पों का चयन करने के योग्य बनाना है। कोविड-19 के चलते संपूर्ण संचार आदर्श के काया-कल्प पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस संकट ने हमें नए टूल्स संबंधी सीखने का सुअवसर भी उपलब्ध करवाया है तथा अपनी बात समझाने व व्यवहारात्मक परिवर्तन हेतु विभिन्न संचार पहुंचें क्रियान्वित हुईं हैं। अनलॉक के बाद एक संचारक का कार्य विशेषतया बढ़ गया है तथा हमार संचार का वर्तमान प्रयास लोगों को कोविड का सामना करने हेतु उचित व्यवहार उपनाने, जैसे कि चेहरे पर मास्क का उपयोग करने, सामाजिक दूरी को कायम रखने व हाथ धोने की ओर ले जाना हो गया है। सोशल मीडिया के फ़ायदे संबंधी बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे दोनों ओर से बातचीत होती है तथा इस ने जनता के विचार जानना आसान कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज-कल इन्फ़ोग्राफ़िक्स सोशल मीडिया संचार का महत्त्वपूर्ण भाग बन गए हैं। उन्होंने संचारकों का दरपेश विभिन्न संचार चुनौतियों – एआई, बिग डाटा इत्यादि जैसी तीव्र गति के साथ नई उभर रही प्रौद्योगिकियों द्वारा तकनीकी परिवर्तन का वर्णन करते हुए कहा कि युवा पत्रकारों हेतु इस क्षेत्र में नए सुअवसर भी उजागर हुए हैं। रीजनल आऊटरीच ब्यूरो, चण्डीगढ़ के उप-निदेशक श्री अनुज चांडक ने भागीदारों को सोशल मीडिया संचार संबंधी सरकार की पहुंच के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार झूठी ख़बरों के साथ कैसे निपट रही है, जिसे ‘इन्फ़ोडैमिक’ (सूचना महामारी) के नाम से भी जाना जाने लगा है। उन्होंने हैशटैग्स, सरल व व्याख्यात्मक इन्फ़ोग्राफ़िक्स, छोटे ऐनीमेटिड विडियोज़ जैसे संचार टूल्स के उपयोग संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि कैसे इनकी सहायता से सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए अपने परिलक्षित श्रोताओं/दर्शकों तक सन्देश पहुंचाया जा सकता है।
श्री अनुज चांडक ने लोगों तक सन्देश पहुंचाने व प्रभाव डालने हेतु प्रसिद्ध स्थानीय शख़्सियतों के महत्त्व पर भी बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि विगत तीन माह के दौरान सन्देश भेजना लॉकडाऊन 1 से अनलॉक 2 तक के समयों पर केन्द्रित रहे हैं। लॉकडाऊन की अवधि के दौरान संपूर्ण ध्यान दिशा-निर्देशों व राष्ट्रीय हिदायतों का अनुपाल सुनिश्चित करने पर केन्द्रित रहा था तथा प्रत्येक सन्देश में लोगों को अपने-अपने घरों के अन्दर ही बने रहने पर बल दिया गया था तथा अब अनलॉक के समय संपूर्ण ध्यान ‘नए आम व्यवहार’ को अपनाने का परिवर्तन लाने पर केन्द्रित हो गया है। उन्होंने भागीदारों को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) चण्डीगढ़ में ‘रीजनल फ़ैक्ट चैक युनिट’ (क्षेत्रीय तथ्य-जांच इकाई) की स्थापना संबंधी बताया, जो हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ के समस्त क्षेत्र में केन्द्र सरकार से संबंधित झूठे समाचारों के फैलने से रोकती है।
पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पत्रकारिता एवं जन-संचार विभाग की प्रमुख सुश्री हैपी जेजी ने अपने संबोधन में कहा कि डिजीटल संचार के इस युग में प्रत्येक ओर से बहुत सी जानकारी आ रही है तथा उसमें से अधिकतर ग़लत होती है। ग़लत व तोड़-मरोड़ कर दी गई जानकारी से जन-साधारण के मनों में भय व चिंता उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदत्त सही जानकारी के बावजूद झूठे समाचारों का सामना करने हेतु उन पर विश्वास न करना व स्व-नियंत्रण ही समय की आवश्यकता है। सुश्री जेजी ने कहा कि लोगों को ऐसे सन्देश अन्यों को फ़ार्वर्ड करने से पूर्व उस सन्देश के तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए तथा वैसे ही आवेग में आकर सन्देशों को फ़ार्वर्ड करने से बचना चाहिए।
पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के पत्रकारिता एवं जन-संचार विभाग की फ़ैकल्टी सदस्य डॉ. नैंसी देविन्द्र कौर ने कहा कि कोरोना महामारी ने कंटैंट निर्माता, कंटैंट वितरक तथा कंटैंट प्राप्तकर्ता की भूमिकाओं को सम्मिलित कर दिया है।
इस वेबिनार में पंजाबी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन-संचार विभाग के विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने इस सत्र को अत्यंत जानकारी से भरपूर बताते हुए इसकी सराहना की तथा फ़ैकल्टी सदस्यों ने अपर महानिदेशक (उत्तर क्षेत्र) को भविष्य में ऐसी बातचीत के अन्य सत्र करवाने का निवेदन किया। इस वेबिनार में लगभग 35 विद्यार्थियों, खोजी विद्ववानों व फ़ैकल्टी सदस्यों ने भाग लिया।
यह सत्र रीजनल आऊटरीच ब्यूरो, चण्डीगढ़ की सहायक निदेशक सुश्री सपना द्वारा सभी भागीदारों के आभार से संपंन्न हुआ। आकाशवाणी (प्रादेशिक समाचार इकाई-आरएनयू) मुख्य श्री शांतनू प्रताप सिंह, श्री हिमांशु पाठक, सहायक निदेशक, पीआईबी शिमला, श्री हितेश रावत, सहायक निदेशक, पीआईबी चण्डीगढ़ एवं इस क्षेत्र के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने इस वेबिनार में भाग लिया।
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