जालंधर ब्रीज:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के खि़लाफ़ लुधियाना के पूर्व डीएसपी द्वारा लगाए दोषों को पूरी तरह रद्द करते हुए कहा कि यदि बलविन्दर सिंह सेखों जैसे ने फ़ौज में एक सीनियर कमांडर के खि़लाफ़ ऐसे दोष लगाए होते तो उसका अब तक कोर्ट मार्शल होने के साथ-साथ उसे बखऱ्ास्त कर दिया गया होता।खाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के खि़लाफ़ पूर्व डीएसपी सेखों द्वारा लगाए गए दोषों संबंधी बीते दिन सदन में कुछ विरोधी पक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व डी.एस.पी. अपने बेबुनियाद दोषों के द्वारा मीडिया में मंत्री की साख को चोट पहुँचाने की कोशिश कर रहा है।कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि बदकिस्मती से यह फ़ौज नहीं है और सेखों का कोर्ट मार्शल नहीं किया जा सकता। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि यदि विभागीय जांच में पूर्व डीएसपी को दोषी पाया जाता है तो वह (मुख्यमंत्री) निजी तौर पर धारा 311 के अंतर्गत उक्त अधिकारी की बखऱ्ास्तगी को यकीनी बनाऐंगे।कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि आशु को टाडा अदालत और अन्य अदालतों ने हरेक स्तर पर पहले ही क्लीन चिट्ट दे दी थी। उन्होंने आगे कहा कि सेखों द्वारा बताए गए सभी मामलों की अदालती कार्यवाही के द्वारा जांच की गई थी और डीएसपी द्वारा कोई नया सबूत दायर नहीं किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आशु सिफऱ् 19 साल के थे जब उनके माता-पिता को मार दिया गया था। उन्होंने कहा कि आशु के खि़लाफ़ टाडा मामलों की जांच उस समय की अकाली सरकार द्वारा बनाए गए आयोग द्वारा की गई थी और आशु को पूरी तरह निर्दोष ठहराया गया था।विरोधी पक्ष के नेता हरपाल चीमा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आशु ने अपने चुनावी हलफऩामे में इन सभी मामलों का जि़क्र किया था।मुख्यमंत्री ने कहा, ”इस व्यक्ति (सेखों) को पुलिस फोर्स से बाहर निकाल दिया गया था और यहाँ तक कि कई गंभीर दोषों में ड्यूटी से बखऱ्ास्त भी कर दिया गया था। परन्तु बाद में उसे बहाल कर दिया गया था और अब वह मेरे मंत्री पर दोष लगा रहा है।”आशु को एक काबिल मंत्री बताते हुए जिनके पास खाद्य सुरक्षा की बड़ी जि़म्मेदारी है, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के गोदाम भरे हुए हैं और मंत्री इन सभी मसलों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं।अकाली दल के मैंबर बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा यह कहना कि 32 साल बाद अकालियों के वलटोहा के खि़लाफ़ केस खोले गए थे तो कैप्टन अमरिन्दर ने चुटकी लेते हुए कहा, ”फिर क्यों न हमारे संविधान की कापियां फाडऩे वाले प्रकाश सिंह बादल के खि़लाफ़ केस चलाया जाये?”इससे पहले अपने बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ख़ुद फ़ौज में सेवाएं निभा कर आए हैं, वह अनुशासन की महत्ता को जानते हैं और सेखों के बयान घोर अनुशासनहीनता हैं जिसके लिए हथियारबंद सेनाओं में कोर्ट मार्शल कर दिया गया होता। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने उस कानून की विभिन्न धाराओं जिसके अंतर्गत उनकी सरकार द्वारा दिसंबर, 2019 में सेखों के खि़लाफ़ कार्यवाही की गई थी, को पढ़ते हुए कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि पिछले दिनों जिन धाराओं के तहत डी.एस.पी. को निलंबित और चार्जशीट किया गया था, ऐसी धाराएं अनुशासित फोर्स के किसी अधिकारी के लिए अपमानजनक हैं।गौरतलब है कि बलविन्दर सिंह सेखों को फस्र्ट सी.डी.ओ. बटालियन, बहादुरगढ़, पटियाला के डी.एस.पी. होते हुए ड्यूटी से अनाधिकृत तौर पर ग़ैर-हाजि़र रहने और अनुशासित फोर्स का मैंबर होते हुए बुरे आचरण और व्यवहार के कारण निलंबित किया गया था।पूर्व डी.एस.पी. के विरुद्ध पिछले मामलों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा, रिकॉर्ड के अनुसार बलविन्दर सिंह सेखों के विरुद्ध 5 आपराधिक मामले (2002 में 4 केस और 2015 में अकाली-भाजपा सरकार द्वारा एक केस) दर्ज किये गए थे और भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने और असामाजिक तत्वों के साथ उसके संबंधों के कारण सेखों को 2002 में धारा 311 के अंतर्गत बखऱ्ास्त कर दिया गया।बाद में सदन के बाहर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अकालियों द्वारा स्पष्ट तौर पर राजनैतिक कारणों से यह मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ”अगर वह समझते थे कि इन मामलों में कुछ है तो उनके (अकालियों) द्वारा यह केस अपने शासनकाल के दौरान क्यों नहीं खोले गए?”———–
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