
जालंधर ब्रीज: देश में जिस प्रकार भाजपा की लहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से पूरे देश में फैल रही है उससे केंद्रीय स्तर पर राजनीति करने वाली पार्टियों की चिंता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। चाहे कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी जिस प्रकार से इन दोनों पार्टियों ने नरेंद्र मोदी को हराने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया उसमें दोनों ही दल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोक पाए और संसदीय चुनाव 2024 के बाद जिस प्रकार भाजपा ने हरियाणा में कांग्रेस को उसके बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी को उसने दोनों ही पार्टियों की रातों की नींद उड़ा दी। खासकर आम आदमी पार्टी उसका मुख्य कारण उनका प्रमुख चेहरा अरविंद केजरीवाल का दिल्ली चुनाव हार जाना और मुख्यत भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर जाना।
इसका सीधा असर 2 वर्ष बाद पंजाब में होने वाले 2027 के चुनाव पर ना पड़े इसके लिए आम आदमी पार्टी की दिल्ली टीम ने कमर कस ली है और पंजाब लीडरशिप को सीधे निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में लोगों को संतुष्ट करे और इस पर आम आदमी पार्टी नेशनल कन्वीनर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के विधायकों, हल्का इंचार्जों, और जिला प्रधानों को अलग-अलग दिल्ली तलब करके अपनी सरकार की मौजूदा स्थिति का फीडबैक भी इकठ्ठा किया।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में करारी हार से लेकर दिल्ली चुनाव में हार पंजाब के अफसरों की मनमानी बताया गया। पंजाब और दिल्ली में तकरीबन हर किसी का कोई ना कोई रिश्तेदार दिल्ली में रहता है उसने पंजाब के लॉ एंड ऑर्डर पर जो स्थिति पूरा देश देख रहा है इससे आम आदमी पार्टी का ग्राफ काफी गिरा। इसका नुकसान दिल्ली चुनाव में भी हुआ और आने वाले पंजाब चुनाव में भी डर दिख रहा।
केजरीवाल इस बात को बखूबी जानते है कि अगर उनकी पार्टी को अपनी साख बचानी है तो किसी भी कीमत में पंजाब में जादुई काम करने होंगे। जिसमें उसने मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपने उसी आधार को पकड़ा जिससे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी जो कि जीरो टॉलरेंस अगेंस्ट करप्शन जिसमें विजिलेंस चीफ को बदलना और साफ छवि के आईपीएस अधिकारी की तैनाती करना और उसके बाद रोज किसी ना किसी अधिकारी पर विजिलेंस का शिकंजा कसना। परंतु विजिलेंस विभाग में ही काली भेड़ें हैं जो उगाही का काम बड़े स्तर पर भ्रष्ट अधिकारियों से महीने के रूप में लेते हैं।
सबसे बड़ी बात है न तो यह अधिकारी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की गाइडलाइंस को फॉलो करते हैं और न ही यह अधिकारी किसी बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारी को हाथ डालने की हिम्मत करते हैं। क्योंकि इनको पता है विजिलेंस विभाग कौन सा चुनाव आयोग की तरह स्वतंत्र विभाग है। किसी समय कोई भी आईपीएस अधिकारी इसमें तैनात किया जा सकता है और बाद में वो उन्हें तंग करे। ऐसे ही आईएएस अफसरों से डरते हैं।
विजिलेंस विभाग की किसी समय भी उसकी तैनाती बतौर होम सेक्रेटरी हो सकती है। इसलिए आसान नहीं है भगवंत मान के लिए स्थिति को संभालना। क्योंकि 2 वर्ष का ही समय रह गया। एक केजरीवाल का दबाव दूसरी बिगड़े हुए हाथी की तरह भ्रष्ट अधिकारियों की मनमानियां। पहले भी देश ने इतिहास में पंजाब आईएएस, पीसीएस अधिकारियों की हड़ताल वाले काले दिन देखे है।
अब देखना है कि क्या भगवंत मान का विजिलेंस विभाग पटवारी, इंजीनियरिंग विभाग के अफसर, इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी या रेवेन्यू अधिकारी जोकि बतौर नायब तहसीलदार या तहसीलदार के रूप में कार्यरत है इनसे आगे बढ़ेगा या सिर्फ डायरेक्ट पीपीपीएससी या यूपीएससी अधिकारी को भी हाथ डालेगा। क्योंकि शुरुआत में एक स्टेट प्रमोटी आईएएस को हाथ डालने पर अफसरों के बागी तेवर देखने को मिले थे और हाल ही में मुक्तसर डीसी को सस्पेंड करने के बाद फिर ब्रेक लग जाएगी। पंजाब के जनता के मन में यह संशय आज भी बना हुआ है कि आम आदमी पार्टी की सरकार हिरण तो रोज मारती है शेर कब मारेगी।
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