August 4, 2025

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एनजीओ ‘ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स’ द्वारा कोरोना व कैंसर मरीजों को मुफ्त एंबुलेंस सेवा व भोजन

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जालंधर ब्रीज: शिमला का ‘ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स’ एनजीओ न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि भारत में एक जाना माना नाम है। यह संगठन विभिन्न गतिविधियों जैसे कैंसर रोगियों के लिए मुफ्त एम्बुलेंस सेवा प्रदान करना, रक्तदान शिविर, शव वैन का संचालन और आईजीएमसी मेडिकल कॉलेज, शिमला में मुफ्त लंगर का आयोजन करता है।

 मिशन के मालिक सरबजीत सिंह बॉबी उर्फ ​​वेल्ला बांदा का कहना है कि 25 साल पहले उन्होंने शिमला में समाज सेवा के तौर पर रक्तदान शिविर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, ‘मैंने 25 साल पहले जब समाज सेवा का अपना काम शुरू किया था तो सोचा नहीं था कि मेरा कारवां एक दिन इतना बड़ा हो जाएगा।’ एनजीओ शिमला रिज पर रक्तदान शिविर आयोजित करता था। आज हिमाचल प्रदेश में 60 प्रतिशत रक्तदान एनजीओ द्वारा आयोजित शिविरों से होता है।

आईजीएमसी मेडिकल कॉलेज में दिए जा रहे लंगर की कहानी भी काफी प्रेरणादायक है। मुफ्त चाय सेवा से शुरू हुआ सफर आज एक विशाल लंगर का रूप ले चुका है। इन लंगरों से हजारों गरीब मरीजों को अपना भोजन मिलता है। कोरोना के कारण इन दिनों लंगर बंद हैं, लेकिन मुफ्त भोजन सेवा जारी है। एनजीओ के कार्यकर्ता पैक्ड खाना बनाकर जरूरतमंदों को उपलब्ध करा रहे हैं।

एनजीओ के ब्रेड बैंक की कहानी भी दिलचस्प है। इन लंगरों से हजारों लोगों को भोजन मिलता है। ऐसे में कोरोना महामारी के दौरान रोटियों की किल्लत हो गई थी । एनजीओ ने शिमला के स्कूलों से संपर्क किया और बच्चों से प्रतिदिन रोटी बैंक में रोटी देने का आग्रह किया। अभियान में बच्चों ने उत्साह से भाग लिया और आज इस ब्रेड बैंक से प्रतिदिन 3000 रोटियां आती हैं। इस रोटी बैंक की अवधारणा को देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया गया है।

एनजीओ ने पिछले साल से ही कोरोना मरीजों के लिए फ्री एंबुलेंस सेवा शुरू की है। यह कोरोना रोगियों और उनके परिवारों को घर-घर भोजन भी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यह कोरोना मरीजों के लिए रक्तदान शिविर भी आयोजित करता है और लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

सरबजीत ने अपने संदेश में लोगों से इस मुश्किल घड़ी में आगे आकर मदद करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे किसी न किसी रूप में मदद की जरूरत न हो। उन्होंने कहा, “हम सभी को इस बारे में सोचना चाहिए कि हम मानवता के लिए कैसे काम कर सकते हैं।”


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