
जालंधर ब्रीज: जिला प्रशासन की तरफ से पराली प्रबंधन को लेकर बड़े स्तर शुरू की गई जागरूकता मुहिम को किसानों का तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने लगी है और जिले के प्रगतिशील किसान पराली प्रबंधन के क्षेत्र में दूसरे किसानों के लिए पथ-प्रदर्शक बनकर आगे आने लगे हैं।
पराली प्रबंधन के लिए हाईटेक मशीनों का इस्तेमाल करके गेहूं की अच्छी फसल उगाने वाले किसानों को अब दूसरे किसानों से किराए पर लेकर मशीनरी का इस्तेमाल करने के लिए बुकिंग के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं।
प्रगतिशील किसान गांव नागरा के लखबीर सिंह, गांव आदरामान से हरविंदर सिंह व गांव चौलांग से गुरमीत सिंह ऐसे ही किसान हैं, जोकि पिछले कापी समय से पराली को आग नहीं लगा रहे ब्लकि हाईटेक मशीनरी का इस्तेमाल करके उसे खेत में ही जोत रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके खेतों की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोतरी हुई है ब्लकि पराली को आग लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ी। इसके अलावा उर्वरकों का इस्तेमाल भी पहले से कम करना पड़ रहा है।
इन प्रगतिशील किसानों ने बताया कि सुपरसीडर मशीन की सहायता से किसानों को दोहरा फायदा हो रहा है। इससे न सिर्फ किसान सिर्फ एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर गेहूं की बिजाई कर सकते हैं ब्लकि इससे पराली को जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। अगर धान को पहले ही सुपर एसएमएस के जरिए काटा जा चुका है तो पराली को जलाने की जरूरत नहीं सुपरसीडर मशीन से गेहूं की सीधी बिजाई की जा सकती है।
तीनों प्रगतिशील किसानों ने बताया कि वह दूसरे किसानों को भी सुपरसीडर मशीन की सुविधा किराए पर उपलब्ध करवा रहे हैं और उनसे प्रति घंटे के 1500 रुपए (ट्रैक्टर समेत) किराया ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें किसानों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है क्योंकि बड़ी तादाद में किसान किराए पर लेकर इन मशीनों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि पराली को आग लगाने से भूमि में मौजूद कई पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं जिसमें 100 फीसदी नाइट्रोजन, 80 फीसदी सल्फर और 20 फीसदी फासफोरस शामिल हैं। इसके अलावा पराली को आग लगाने पर जो जहरीली गैस पैदा होती है, वह हमारे वातावरण को नुकसान पहुंचाती है। मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि पिछले साल करीब 4 फीसदी किसानों ने गेहूं की सीधी बिजाई सुपरसीडर मसीन से की थी लेकिन इस बार यह आंकड़ा 25 प्रतिशत से ऊपर पहुंचने की संभावना है।
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