जालंधर ब्रीज:झुग्गी-झोंपड़ी वालों की प्राथमिक ज़रूरतों के हल के लिए और राज्य के शहरी क्षेत्रों के सर्वपक्षीय विकास को यकीनी बनाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने बुधवार को ‘पंजाब स्लम डिवैलरज़ (स्वामित्व अधिकार) एक्ट -2020 के लागू करने को मंज़ूरी दे दी है।यह प्रगटावा करते हुये मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में झुग्गियों -झौंपडिय़ों का प्रबंधन शहरों के टिकाऊ विकास के लिए बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने आगे कहा राज्य सरकार झुग्गी झोंपड़ी वालों और राज्य के दूसरे निवासियों को प्राथमिक नागरिक सहूलतें और स्वामित्व अधिकार देने के लिए वचनबद्ध है। उक्त कानून शहरी क्षेत्रों के सर्वपक्षीय विकास को यकीनी बनाने के साथ-साथ झुग्गियां -झोंपड़ी वालों को प्राथमिक सहूलतें मुहैया करवाने के लिए सहायक सिद्ध होगा।मंत्रीमंडल ने महसूस किया कि झुग्गियों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को सुधारने और उस शहर या कस्बे जहाँ झुग्गियाँ -झौंपडिय़ाँ मौजूद हैं, के सर्वपक्षीय विकास के लिए के ठोस यत्नों की ज़रूरत है।जि़क्रयोग्य है कि पिछले कुछ दशकों में राज्य में कई झुग्गियाँ -झौंपडिय़ाँ अवैध ढंग से बनी हैं। अनाधिकृत कब्ज़े के तहत होने के कारण, इन झुग्गियों झौंपडिय़ों में रहने वाले निवासियों को नागरिक सहूलतें नहीं मिलती। झुग्गी झोंपड़ी वालों के अनाधिकृत कब्ज़े वाली ज़मीन से अन्य जगह पर पुनर्वास के लिए किये गए उपायों के नतीजे के तौर पर विभिन्न अदालतों में कई सालों से मुकदमा चल रहा है और इस तरह स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में आरंभ किये यत्नों के असली मंतव्य पिछड़ गए हैं।मीटिंग के दौरान मंत्रीमंडल द्वारा जायदादों के उचित प्रबंधन को यकीनी बनाने के लिए ‘दी पंजाब मैनेजमेंट एंड ट्रांसफर ऑफ म्युंसिपल प्रॉपर्टीज़ एक्ट, 2020 के लागूकरन को हरी झंडी दे दी गई।बदलते समय में शहरी जायदादों का प्रबंधन विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी भाईवालों की अलग-अलग माँगों को एकसमान एकीकृत किया जाना है।गौरतलब है कि शहरी जायदादों का प्रबंधन शहरी क्षेत्रों के सामथ्र्य को उभारने का एक ज़रिया है और साथ ही स्रोतों के उपयुक्त प्रयोग का भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। पिछले समय में शहरी जायदादें अलाटियों और किरायेदारों को ट्रांसफर या किराये पर दी गई थीं परन्तु इस सम्बन्ध में एक व्यापक कानून की अनुपस्थिति रही है।मीटिंग के दौरान शहरी जायदादों के अनाधिकृत कब्ज़ों के भी मामले उठाए गए, जो झगड़ों और मुकदमेबाज़ी में उलझे हुए हैं और इस तरह ज़मीन के उपयुक्त प्रयोग करने में रुकावट डाल रहे हैं और नतीजे के तौर पर सम्बन्धित नगर पालिकाओं को राजस्व का नुक्सान भी हो रहा है।
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