
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा लिए गए हालिया फैसलों का इस क्षेत्र में पंजाब व हरियाणा राज्यों के किसानों ने समर्थन किया हैकृषि विपणन में सुधारों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए किए गए ये फैसले वित्त मंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमण द्वारा गत माह ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत की गईं घोषणाओं की पृष्ठभूमि में किए गए हैं। माननीय वित्त मंत्री ने अपनी एक घोषणा में ऐसा केन्द्रीय अधिनियम लाने का प्रस्ताव रखा था,जो किसानों को लाभदायक मूल्यों पर अपनी फ़सल बेचने का उचित विकल्प, अवरोध-मुक्त व्यापार करने व कृषि उपज का ई-व्यापार करने हेतु एक संरचना प्रदान करवाता हो।अब जब भारत सरकार ने अपने प्रस्ताव को क्रियान्वित किया है, हरियाणा राज्य के किसानों ने उस पर उत्साह प्रकट किया है। इस राज्य के एक किसान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा फ़सल उत्पाद की बिक्री पर से हटाए गए प्रतिबंध अत्यंत प्रशंसनीय हैं तथा पुरानी प्रणाली ने किसानों को प्रतिबंधों के तहत रखा हुआ था। एक अन्य किसान ने कहा कि अब तक केवल एक सीमित क्षेत्र में ही अपनी फ़सलें बेच सकते थे परन्तु अब हम अपनी उपज किसी भी ऐसे स्थान पर बेच सकते हैं, जहां बेहतर मूल्य मिलता हो। आवश्यक वस्तुओं संबंधी अधिनियम (ईसीए) में संशोधन से निजी निवेशकों के मनों में हद से ज़्यादा नियंत्रण के दख़ल समाप्त हो जाएंगे तथा फ़सलें उगाने, रखने, उन्हें लाने-ले जाने, वितरित करने व उनकी आपूर्ति करने की स्वतंत्रता से अर्थव्यवस्थाओं को बड़े स्तर पर लाभ होगा तथा निजी निवेशक/सीधा विदेशी निवेश कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित होंगे।
पड़ोसी राज्य पंजाब में भी ऐसी भावना देखने को मिल रही है क्योंकि एक किसान संजीवन सिंह ने कहा कि इन उपायों का किसानों का अत्यधिक लाभ होगा तथा फ़सलों की बिक्री पर प्रतिबंध हटने से बिचौलियों की समाप्ति होगी। इसी राज्य के एक अन्य किसान परमजीत सिंह ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं संबंधी अधिनियम (ईसीए) में संशोधन से किसान अपनी उपज देश में कहीं पर भी बेचने के योग्य होंगे तथा बिचोलियों की समाप्ति होगी। मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकृत ‘मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020’ द्वारा किसानों को सीधे विपणन में सहायता मिलेगी तथा परणिामस्वरूप उन्हें उनकी फ़सलों की पूर्ण लाभदायक मोल मिल पाएगा। ऐसे ही ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020’ द्वारा एक ऐसी सुखद प्रणाली कायम होगी, जहां किसान व व्यापारी कृषि-उत्पाद की बिक्री व ख़रीद की स्वतंत्रता का आनंद उठाएंगे।
इन फैसलों को व्यावहारिक रूप देने के लिए भारत सरकार पहले ही ये दोनों अध्यादेश क्रियान्वित कर चुकी है।
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