August 4, 2025

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आर.टी.आई. से सम्बन्धित लोगों के सवालों के तत्काल जवाब के लिए लोक-समर्थकीय हेल्पलाइन नंबर लाँच

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जालंधर ब्रीज: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को लोक-समर्थकीय विशेष आर.टी.आई. हेल्पलाइन नंबर लाँच किया, जो राज्य के लोगों की सूचना अधिकार कानून से सम्बन्धित सवालों का एक साधारण फ़ोन कॉल के द्वारा तत्काल जवाब देगा। समर्पित नंबर ( 91-172-2864100) के साथ नया हेल्पलाइन नंबर आर.टी.आई. एक्ट को और प्रभावशाली ढग़ से लागू करने में मददगार साबित होगा, जो आर.टी.आई. संबंधी प्रश्नों की बढ़ती संख्या को जल्द हल करने और नागरिकों के मन की सभी शंकाओं को दूर कर देगा।

मुख्यमंत्री ने इस पहल को अपनी सरकार द्वारा पारदर्शिता को बढ़ाने और हर स्तर पर सरकारी कामकाज में और ज्य़ादा कार्यकुशलता लाने के ठोस यत्नों को बढ़ावा देने वाली बताते हुए कहा कि इस हेल्पलाइन नंबर से लोगों को भारत के संविधान के आर्टीकल 19 (1) (ए) में आज़ादी के साथ बात कहने और विचारों को प्रकट करने के मिले मौलिक अधिकार का पूरा लाभ लेने में मदद मिलेगी।

भारत सरकार के पर्सोनल मंत्रालय, सार्वजनिक शिकायतें और पैंशनज़ और पर्सोनल और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी हिदायतों की पालना करते हुए पंजाब राज्य सूचना आयोग के कार्यालय से लांच किया, यह हेल्पलाइन नंबर सभी नागरिकों समेत सार्वजनिक अधिकारियों की नुमायंदगी करने वाले सरकारी अधिकारियों के लिए सभी कामकाजी दिनों (सोमवार से शुक्रवार तक) में प्रात:काल 10 बजे से शाम 4 बजे तक पहुँच योग्य होगा।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार पंजाब राज्य सूचना आयोग जो राज्य में सिफऱ् आर.टी.आई. मामलों को देखता है, के पास लोगों की आर.टी.आई. एक्ट से सम्बन्धित सवालों की संख्या में विस्तार हुआ है। आम तौर पर यह देखा गया है कि लोगों की बड़ी संख्या जो इस एक्ट के अंतर्गत सूचना हासिल करना चाहते हैं, को ऐसी सूचना हासिल करने के लिए उपबंधों और प्रक्रिया संबंधी ज़्यादा ज्ञान नहीं होता।

प्रवक्ता ने इस हेल्पलाइन को जारी करने संबंधी तर्क देते हुए बताया कि नागरिकों के ‘जि़ंदगी और आज़ादी’ से जुड़े मामलों समेत सूचना हासिल करने वाले लोग पंजाब, राज्य की राजधानी चंडीगढ़ और बाकी देश में रहने वाले हैं, जिनमें विभिन्न देशों में बसे प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस तथ्य के बावजूद कि आर.टी.आई. एक्ट 2005 से शुरू हो गया था, पंजाब राज्य सूचना आयोग ने महसूस किया है कि सार्वजनिक अधिकारी (लोक सूचना अधिकारी- पी.आई.ओज़) भी एक्ट की धाराओं से पूरी तरह वाकिफ़ नहीं हैं।


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