June 17, 2025

Jalandhar Breeze

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गांव हंदोवाल का प्रगतीशील किसान दलबीर सिंह गेहूं सहित अन्य फसलों के अवशेषों को आग न लगा कर करता है धान की सीधी बिजाई

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जालंधर ब्रीज: नीचे जा रहे भू जल स्तर के कारण लेबर की मुश्किल से बचने के लिए आज से तीन वर्ष पहले गेहूं की नाड़ को बिना आग लगाए धान की सीधी बिजाई तकनीकी का रास्ता चुना। गेहूं की नाड़ का खेतों में प्रबंधन कर भूसा बनाकर 5 एकड़ में धान की सीधी बिजाई की। नतीजा यह निकला कि पानी, लेबर व डीजल की तो बचत हुई ही साथ में झाड़ भी पहले से कहीं अधिक प्राप्त हुआ। तब से निश्चय कर लिया कि अब कभी भी गेहूं सहित अन्य फसलों के अवशेषों को आग नहीं लगानी, बल्कि सीधी बिजाई कर जहां लाभ कमाना है वहीं वातावरण की भी संभाल करनी है। यह कहना है गांव हंदोवाल के प्रगतिशील किसान दलबीर सिंह का।

बी.एस. पास दलबीर सिंह ने बताया कि उसने पिछले वर्ष गेहूं की नाड़ को आग लगाए बिना धान की सीधी बिजाई कर प्रति एकड़ 23 क्विंटल झाड़ प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि उसकी ओर से नाड़ के अलावा अन्य फसलों के अवशेषों का प्रबंधन भी खेत में ही किया जाता है।

अपने चाचा रघुबीर सिंह के साथ करीब 10 एकड़ में साझी खेती करने वाले दलबीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में पहली बार 10 एकड़ में सीधी बिजाई की परंतु अनुभव में कमी, खरपतवार की ठीक तरह रोकथाम व खेत लेजर लैवलड न होने के कारण झाड़ में कमी आई। परंतु उसने हिम्मत न हारते हुए गेहूं की नाड़ को बिना आग लगाए धान की सीधी बिजाई जारी रखी। वर्ष 2021 के दौरान गेहूं की नाड़ का भूसा बनाकर 5 एकड़ में धान(किस्म पी.आर. 126) की सीधी बिजाई की।

कृषि विभाग की ओर से सिफारिश की गई खरपतवार नाशक दवाईयों के समय पर छिडक़ाव से खरपतवार की रोकथाम की। परिणाम स्वरुप जहां एक तरफ उसे 23 क्विंटल प्रति एकड़ झाड़ प्राप्त हुआ वहीं दूसरी  ओर दो हजार रुपए प्रति एकड़ डीजल का व चार हजार रुपए प्रति एकड़ लेबर का खर्च कम हुआ। इसके अलावा इस विधि से लगाए गए धान से पानी की काफी बचत हुई। किसान दलबीर सिंह का कहना है कि नई तकनीक अपनाने से चुनौतियां तो सामने आती है लेकिन कृषि माहिरों व प्रगतिशील किसानों के साथ तालमेल रख उनका हल भी किया जा सकता है।

डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने इस प्रगतिशील किसान दलबीर सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि वातावरण की शुद्धता बरकरार रखने व पानी की संभाल के लिए जिले के बाकी किसानों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान दलबीर सिंह की ओर से गेहूं व अन्य फसलों के अवशेषों को आग न लगाना प्रशंसनीय कदम है। इस प्रगतिशील कदम से जहां वातावरण की रक्षा व पानी की संभाल की जा सकती है वहीं अधिक मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

संदीप हंस ने कहा कि जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए गेहूं के अवशेषों को आग नहीं लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आग लगाने से जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए डी.एस.आर ड्रिल(धान की सीधी बिजाई करने वाले मशीन) का प्रयोग की जा सकती है। यह आधुनिक तकनीक वाली मशीन कृषि विभाग के पास भी उपलब्ध है। इसके अलावा स्व सहायता ग्रुप व किसानों से किराए पर प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि डी.एस.आर ड्रिल किराए पर प्राप्त करने के लिए अपने नजदीक कृषि कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

मुख्य कृषि अधिकारी डा. सतनाम सिंह ने कहा कि मध्यम आकार की भूमि(रेतीली मैरा, मैरा, चिकनी मैरा) सीधी बिजाई के बहुत अनुकूल है। उन्होंने कहा कि पहली बार धान की बिजाई करने वाले किसान सीधी बिजाई सिर्फ वहीं करें जहां पिछले वर्षों में धान की काश्त की गई हो, जिन खेतों में पिछले वर्षों में गन्ना, मक्की व कपास आदि बीजा हो वहां धान की सीधी बिजाई करने से गुरेज करें, क्योंकि इन खेतों में खरपतवार की समस्या ज्यादा हो सकती है।


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