
जालंधर ब्रीज: भारतीय जनता पार्टी, पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने किसान आन्दोलन के दौरान आन्दोलनकारियों द्वारा की हिंसात्मक कारवाईयों पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि भारत की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठे आन्दोलाकारी तथा संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत तथा अन्य नेता अपने निजी स्वार्थों के लिए भड़काऊ भाषण व उग्र ब्यान देकर इस किसान आंदोलन को हिंसक रूप देकर देश का शांति व सद्भाव का माहौल ख़राब करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं।
इस किसान आन्दोलन को विपक्ष ने भी अपने स्वार्थ के लिए जमकर हवा दी। पिछले एक साल से चल रहे किसान आन्दोलन के दौरान टिकरी बोर्डर तथा सिंघु बोर्डर विशेष रूप से जघन्य अपराध का केंद्र बन चुके हैं। किसानों की मनमानी जहाँ कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बनी हुई है वहीँ आन्दोलन-स्थल के आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोग भी इनसे बहुत परेशान हैं। आन्दोलन-स्थल पर सामूहिक दुष्कर्म से लेकर, जिन्दा जलाने, लूट, चोरी, हत्याएं सहित कई घटनाएँ इस आन्दोलन में घटित हो चुकी हैं, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हमेशा अपना पल्ला झाड़ते आए हैं। टीकरी बार्डर पर तो आंदोलन के बीच ऐसे-ऐसे अपराध हो चुके हैं, जिनकी कल्पना से भी रूह काँप जाती है। इस आंदोलन के बीच हो रही इन जघन्य आपराधिक घटनाओं की जिम्मेदारी सीधे रूप से संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बनती है।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हमेशा किसान आन्दोलन शान्तमय होने के दावा करते नहीं थकते, जबकि इसका असली हिंसात्मक चेहरा कई बार देश की जनता के सामने आ चुका है। 26 जनवरी को आन्दोलनकारियों ने जबरन दिल्ली में घुस कर जहाँ पुलिस के साथ जमकर मार-पीट की वहीँ लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज का भी अपमान किया, जिसे देश सहित सारी दुनिया ने देखा। 31 जनवरी को बॉर्डर पर हिंसा की वारदात हुई थी। स्थानीय निवासी रोज होने वाली दिक्कतों से परेशान होकर बॉर्डर खाली कराने पहुंचे थे।
इसके अतिरिक्त आन्दोलनकारी अब तक आन्दोलन-स्थल के साथ लगते इलाकों से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानीय नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसला कर अपने ले जा चुके हैं, जिनमें से कईयों को पुलिस द्वारा बरामद कर उनके परिजनों को वापिस किया गया है। 22 फरवरी को आंदोलन में आए पंजाब के तीन युवकों ने पिस्तौल के बल पर पहले बहादुरगढ़ के सौलधा गांव के पास पेट्रोल पंप से 30 हजार कैश लूटा। अगले दिन शहर के अंदर एक ज्वैलर्स शाप में लूट की कोशिश की। 26 मार्च को आंदोलन स्थल पर पंजाब के किसान हाकम सिंह की गला रेतकर हत्या कर दी गई। मार्च में सिंघु बॉर्डर के पास लंगर के दौरान हवाई फायरिंग की घटना हुई।
3 अप्रैल को पंजाब के आंदोलनकारियों द्वारा एक आंदोलनकारी गुरप्रीत की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। 9 मई को बंगाल से आई युवती के साथ किसान सोशल आर्मी के चार नेताओं द्वारा बड़ी बर्बरता से सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जिसकी मौत हो गई, इस जघन्य अपराध में दो महिला वालंटियर भी शामिल थीं। 29 मई को पंजाब की एक युवती ने आंदोलन स्थल पर खुद के साथ दुर्व्यवहार किए जाने के आरोप लगाए और इंस्टाग्राम पर आपबीती बयां की।
16 जून को आंदोलन स्थल पर ही कसार गांव के युवक मुकेश मुदगिल को तेल डालकर जिंदा जलाया गया। अब इसी आन्दोलन-स्थल पर तरनतारन निवासी दलित नौजवान लखबीर सिंह की हृदय-विदारक रूप से निर्मम हत्या कर दी गई और मोर्चा के नेताओं ने इस बार भी अपना पल्ला झाड़ते हुए घटना से संबंधित निहंगों से अपना नाता तोड़ लिया।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि पंजाब में कई भाजपा नेताओं के घरों के समक्ष किसानों ने नाज़ायज रूप से धरने लगाए हुए हैं और राज्य सरकार व जिला प्रशासन उन्हें समर्थन करता है। इसके अतिरिक्त इस आन्दोलन के दौरान पंजाब में कथित किसानों द्वारा पुलिस की आँखों के सामने भाजपा के कई नेताओं पर जानलेवा हमले, भाजपा के कार्यक्रमों में जबरन घुस कर तोड़-फोड़, भाजपा कार्यालयों में तोड़-फोड़ व आगजनी आदि की घटनाएँ अंजाम दी गई। पुलिस प्रशासन इस सब के दौरान मूकदर्शक बन कर तमाशा देखता रहा। शर्मा ने कहा कि कथित किसानों व अराजक तत्वों द्वारा जालंधर-पठानकोट हाईवे पर पड़ने वाले टोल-पलाज़ा पर मुझ पर घातक जानलेवा हमला किया गया, जिसकी जिम्मेवारी सांसद बिट्टू ने मीडिया के समक्ष ली थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक बिट्टू के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की।
अबोहर के भाजपा विधायक अनुन नारंग पर पुलिस के समक्ष घातक हमला कर जहाँ उनसे बुरी तरह मारपीट की वहीँ उनके कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र कर दिया गया। इसके अतिरिक्त कई अन्य भाजपा नेताओं की गाड़ियों को रोक कर उन पर तेजधार हथियारों व लाठियों-डंडों से हमले किए गए। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह चीमा के खेतों में जबरन घुस कर वहां लगाई गई धान की फसल पर ट्रैक्टर चला कर बर्बाद कर दिया गया। पटियाला के भाजपा नेता भूपेश अग्रवाल पर कथित किसानों ने जानलेवा हमला किया। अगर पुलिस कारवाई करती है तो इन कथित किसानों द्वारा धरने-प्रदर्शन शुरू कर दिए जाते हैं। कथित किसानों व अराजक तत्वों द्वारा शान्तमय प्रदर्शन के नाम पर हिंसात्मक प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिससे इनका दोहरा चेहरा सामने आ चुका है। यह लोग कानून को एक मजाक बनाए हुए हैं और कानून अपने हाथ में लेने से नहीं कतराते।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार व कांग्रेसी नेताओं से प्रदेश की कानून-व्यस्व्था तो संभलती नहीं, दूसरे राज्यों में हो रही घटनाओं पर अपनी राजनीति चमकाने के लिए धरने-प्रदर्शन करने पहुँच जाते हैं। भाजपा शासित राज्य के लखीमपुर खीरी में हुई गाड़ी से रोंदने व मोब-लिचिंग की घटना के बाद राहुल, प्रियंका, भूपेश बघेल, चन्नी, व नवजोत सिद्धू वहां जा कर अपनी सियासत चमकाने में लगे रहे। लेकिन कांग्रेस शासित राज्य के जशपुर में गाड़ी से रोदने की हुई घटना में मारे गए चार श्रद्धालुओं व 20 घायल लोग इन कांग्रेसी नेताओं को नजर नहीं आए। लखीमपुर में करोड़ों लुटाने वाले कांग्रेसियों का खज़ाना अपने राज्य में मारे गए लोगों के लिए क्या खाली हो गया है? आन्दोलन स्थल पर दलित नौजवान की निर्मम हत्या कर दी जाती है, तो इन कांग्रेसियों के मुँह पर ताले क्यूँ लगे हुए हैं?
अश्वनी शर्मा ने कहा कि किसान नेताओं द्वारा हर बार आन्दोलन स्थल पर हुए जघन्य अपराध के बाद उससे अपना पल्ला झाड़ लिया जाता रहा है। इन तमाम घटनाओं के बीच किसान मोर्चा इस वारदात की जिम्मेदारी निहंगों के मत्थे मढ़कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। उन्हें कम से कम इन सवालों के जवाब तो देने ही होंगे। किसान मोर्चा शांति से आंदोलन चलाने की बात को बार-बार दोहराता है। बलात्कार से लेकर खुलेआम गोली चलाने के बाद अब निन्र्म्म हत्या के बाद शांतिपूर्ण आंदोलन की बात तो बिल्कुल बेमानी हो जाती है। धरनास्थल पर हिंसा होती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है? शर्मा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी की घटना पर कहा था कि वह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या करने वालों को अपराधी नहीं मानते, यह एक्शन के प्रति रिएक्शन था। शायद उन्हें यह नहीं पता कि इस का नतीज़ा कितना भयानक हो सकता है। आन्दोलन-स्थल पर हुई दलित नौजवान की हत्या इसी बात का स्पष्ट उदहारण है। आन्दोलन से जुड़े समस्त नेताओं तथा इस आन्दोलन को पनाह व शह देने वाले सभी राजनीतिक व अन्य नेताओं को इस बात का जवाब देना पड़ेगा।
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