
जालंधर ब्रीज: भारतीय जनता पार्टी, पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने किसान आन्दोलन में सियासी नेताओं की शिरकत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसानों का आन्दोलन पंजाब की कांग्रेस सरकार व विपक्षी दलों द्वारा एक सोची-समझी साजिश के तहत चल रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों पर मोगा में हुए लाठीचार्ज के बाद किसान नेताओं व अन्य विपक्षी दलों द्वारा उस मामले में आज तक ख़ामोशी बनाए रखना इस बात का प्रत्यक्ष सबूत है कि यह आन्दोलन किसानों का नहीं बल्कि कांग्रेस व विपक्षी दलों द्वारा फंडित व समर्थित है।
उन्होंने कहाकि किसान संगठन राज्य सरकार से मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल किसान आन्दोलन को आगे रख कर उसकी आढ़ में भाजपा को रोकने का असफल प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर आन्दोलन पर बैठे थे, जबकि आज इसका मकसद ही कुछ और हो चुका है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में 11 फसलों पर MSP दिया जा रहा है और इसके अलावा भी किसानों को बहुत कुछ दिया जा रहा है। लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा किसी भी फसल पर कोई भी MSP नहीं दिया जा रहा। गेंहू, धान या कॉटन पर जो MSP दिया जा रहा है वो केंद्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है, इसमें पंजाब सरकार का कोई रोल नहीं है।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2019-20 में पंजाब की कांग्रेस सरकार को किसानों के खेतों की पराली निस्तारण की मशीनरी खरीदने के लिए 159 करोड़ रुपए भेजे गए तथा इस पर 80 सब्सिडी दी गई, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा इस पैसे से कोई मशीनरी नहीं खरीदी गई और इस फंड को खुर्द-बुर्द कर दिया गया। केंद्र सरकार द्वारा 2018-19 में पंजाब की कांग्रेस सरकार को इसी तरह पराली निस्तारण मशीनरी खरीदने के लिए 169 करोड़ भेजे गए, जिसे पंजाब सरकार ने खुर्द-बुर्द कर दिया गया। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इसमें से जो राशि बांटी वो भी अपने चहेतों को बाँट दी।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा की सरकार अपने राज्य के किसानों को कृषि विभिन्नता के अधीन धान (चावल) की खेती ना करने के लिए 7000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देती है और धान (चावल) की खेती की सीधी बिजाई करने वाले किसान को 5000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देती है। उन्होंने कहा कि किसान धान की खेती के लिए खेतों में बिजली से चलने वाले ट्यूबवेलों से जमीन के नीचे का पानी खींच कर अपने खेतों को भरते हैं व धान के रोपाई करते हैं और सिंचाई करते हैं, जिससे बिजली और पानी दोनों की बहुत ज्यादा खपत होती है।
पानी की बचत के लिए हरियाणा सरकार ने किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित करते हुए इसके लिए नई तकनीक अपनाने तथा सीधी रोपाई की मशीनरी से रोपाई करने वाले किसानों को 5000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देती है। खेतों में पराली ना जलाने वाले किसानों को हरियाणा सरकार द्वारा 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। हरियाणा सरकार द्वारा खेतों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम से सिंचाई के लिए किसानों को 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। हरियाणा सरकार ने इस वर्ष अपने किसानों को पानी सम्भालने के लिए ‘जो किसान अपने खेत में गड्डा खोद कर पानी सम्भालेगा’ उसे भी 85 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की है।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने सिवा किसानों को खेती कानूनों के प्रति उकसाने व आन्दोलन के लिए भड़काने के अलावा कुछ नहीं किया। ऊपर से केंद्र सरकार द्वारा मशीनरी खरीद के लिए 2018-19 तथा 2019-20 में भेजे गए फंड को भी खुर्द-पुर्द कर दिया। जिससे किसानों को नई तकनीक से वंचित रहना पड़ा। उन्होंने कहाकि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने तथा उन्हें प्रगतिशील बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी के चलते केंद्र सरकार द्वारा रबी की फसलों पर इस वर्ष भी 40 रुपए से लेकर 400 रुपए तक की MSP में बढ़ौतरी की गई है।
यस केंद्र सरकार की किसानों के लिए प्रतिबद्धता का स्पष्ट प्रमाण है। शर्मा ने कहाकि किसानों द्वारा जिन मुद्दों को लेकर आन्दोलन शुरू किया गया था, वो सब मुद्दे खत्म हो चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा MSP व मंडीकरण को यथावत रखने की बात कही गई थी, जो कि यथावत चल रही हैं और केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष MSP बढ़ाया जा रहा है। किसानों द्वारा फिर भी आन्दोलन समाप्त न करना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यह सिर्फ राजनीति से प्रेरित है। शर्मा ने किसान संगठनों को केंद्र सरकार से बात करने के लिए पाँच मेंबरी टीम का गठन कर बातचीत के माध्यम से हल निकालने का आह्वान किया।
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